mahakumb

Dharmik Katha: क्या है सच्ची प्रार्थना, जानें यहां?

Edited By Jyoti,Updated: 27 Apr, 2022 11:54 AM

dharmik katha in hindi

एक पुजारी प्रतिदिन सुबह मंदिर जाते और दिन भर वहीं रहते। सुबह से ही लोग उनके पास प्रार्थना के लिए आने लगते। जब कुछ लोग इकट्ठे हो जाते, तब मंदिर में सामूहिक प्रार्थना होती। जब प्रार्थना सम्पन्न

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
एक पुजारी प्रतिदिन सुबह मंदिर जाते और दिन भर वहीं रहते। सुबह से ही लोग उनके पास प्रार्थना के लिए आने लगते। जब कुछ लोग इकट्ठे हो जाते, तब मंदिर में सामूहिक प्रार्थना होती। जब प्रार्थना सम्पन्न हो जाती, तब पुजारी लोगों को अपना उपदेश देते।

उसी नगर में एक गाड़ीवान था। वह सुबह से शाम तक अपने काम में लगा रहता। इसी से उसकी रोजी-रोटी चलती। यह सोच कर उसके मन में बहुत दुख होता कि मैं हमेशा अपना पेट पालने के लिए काम धंधे में लगा रहता हूं, जबकि लोग मंदिर में जाते हैं और प्रार्थना करते हैं। मारे आत्मग्लानि के गाड़ीवान ने पुजारी के पास पहुंच कर अपना दुख जताया। 

‘पुजारी जी! मैं आपसे यह पूछने आया हूं कि क्या मैं अपना यह काम छोड़ कर नियमित मंदिर में प्रार्थना के लिए आना आरंभ कर दूं।’

पुजारी ने गाड़ीवान की बात गंभीरता से सुनी। उन्होंने पूछा, ‘‘तुम यह बताओ कि तुम गाड़ी में सुबह से शाम तक लोगों को एक गांव से दूसरे गांव तक पहुंचाते हो। क्या कभी ऐसे अवसर आए हैं कि तुम अपनी गाड़ी में बूढ़े, अपाहिजों और बच्चों को मुफ्त में एक गांव से दूसरे गांव तक ले गए हो?’’ 

गाड़ीवान ने उत्तर दिया, ‘‘हां पुजारी जी! ऐसे अनेक अवसर आते हैं। यहां तक कि जब मुझे यह लगता है कि राहगीर पैदल चल पाने में असमर्थ है, तब मैं उसे अपनी गाड़ी में बैठा लेता हूं।’’

पुजारी ने गाड़ीवान से कहा, ‘‘तब तुम अपना पेशा बिल्कुल मत छोड़ो। थके हुए बूढ़ों, अपाहिजों, रोगियों और बच्चों को कष्ट से राहत देना ही ईश्वर की सच्ची प्रार्थना है।’’ 

यह सुनकर गाड़ीवान अभिभूत हो उठा।

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!