Dharmik Katha- कर्मों के अनुरूप निर्मित होता है मनुष्य का आचरण

Edited By Jyoti,Updated: 08 May, 2022 10:27 AM

dharmik katha in hindi

​​​​​​​मनुष्य को ईश्वर से प्राप्त मन एक दिव्य ऊर्जा है। इसी दिव्य मन के द्वारा मनुष्य अपने जीवन के समस्त क्रियाकलापों का संचालन

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

मनुष्य को ईश्वर से प्राप्त मन एक दिव्य ऊर्जा है। इसी दिव्य मन के द्वारा मनुष्य अपने जीवन के समस्त क्रियाकलापों का संचालन करता है। आध्यात्मिक शब्दावली में मन को बंधन एवं मोक्ष का कारण माना गया है। अद्भुत सामर्थ्य से परिपूर्ण हमारा मन जब शिव संकल्प अर्थात श्रेष्ठ एवं शुभ संकल्प से परिपूर्ण होता है तब वह हमारे जीवन को परम आनंद की ओर ले जाता है।

छठी इंद्रिय है मन
मन की शक्ति असीम है। दार्शनिकों ने मन को छठी इंद्रिय कहा है और यह छठी इंद्रिय अन्य इंद्रियों से कहीं अधिक प्रचंड है। मन इंद्रियों का प्रकाशक है ज्योति स्वरूप है। मन ही इंद्रियों का नियंत्रक है, इसलिए अगर मन में उठने वाले संकल्प कल्याणकारी हैं तो ऐसा श्रेष्ठ मन इंद्रियों को भी श्रेष्ठ कर्मों की ओर प्रेरित करेगा। मनुष्य का संपूर्ण जीवन मन के संकल्पों से प्रभावित होता है। भारतीय वांग्मय में भी कहा गया है कि जैसे संकल्प मन में सृजित होते हैं वैसे ही कर्मों में मनुष्य निमग्न हो जाता है और उन्हीं कर्मों के अनुरूप  मनुष्य का आचरण निर्मित होता है।

PunjabKesari,  Dharmik Story In Hindi, Lok katha In hindi, Dharmik Hindi katha

मनुष्य का दिव्य धाम
इसलिए कर्म का आधार मनुष्य के मन में उठने वाले विचार हैं। मन के संबंध में कहा गया है कि प्रत्येक मनुष्य को जिस प्रकार स्थूल अस्तित्व के रूप में शरीर मिला है, उसी प्रकार सूक्ष्म अस्तित्व के रूप में मन मिला है।

सदैव गतिशील रहना मन का स्वभाव है। यह मन ही मनुष्य का दिव्य धाम है। मन रूपी भूमि पर उगने वाले विचार या संकल्प यदि अशुभ या निकृष्ट प्रवृत्ति के हैं तो वे मनुष्य को भी नरक एवं दुखों की दलदल में ले जाते हैं। हमारी मानसिक व आध्यात्मिक उन्नति में मन के शिव संकल्पों का अहम योगदान है।

PunjabKesari,  Dharmik Story In Hindi, Lok katha In hindi, Dharmik Hindi katha
परम लक्ष्य की ओर अग्रसर
कुशल सारथी जिस प्रकार लगाम के नियंत्रण से गतिमान घोड़ों को गंतव्य पथ पर मनचाही दिशा में ले जाता है उसी प्रकार शिव संकल्पित मन भी मनुष्य को अपने परम लक्ष्य की ओर ले जाता है।मन अनंत ज्ञान का स्रोत है। जप, तप, साधना का मार्ग इसी शुभ संकल्पों से युक्त मन से ही प्रशस्त होता है । यजुर्वेद के शिव संकल्प सूत्र के मंत्रों में परमपिता परमात्मा से दिव्य एवं शुभ संकल्पों की पग-पग पर प्रार्थना की गई है। उन्नति और अवनति मन के विचारों की प्रकृति पर ही निर्भर है। सुख-दुख एवं आत्मिक आनंद का द्वार भी इसी मन की संकल्प संपदा से खुलता है। मन के अशुभ संकल्प मनुष्य के जीवन में अभिशाप के समान हैं । दैवी एवं शुभ संकल्पों की संपदा जिस मन में होती है वह मनुष्य के लिए एक उत्तम वरदान के समान है। शिव संकल्पों से समावेशित मन ही मनुष्य को धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष के आध्यात्मिक मार्ग का पथिक बनाता है। मन के दिव्य संकल्प से ही परम तत्व परमात्मा की अनुभूति का मार्ग खुलता है। दैवी संकल्पों से युक्त मन आध्यात्मिक ऊर्जा का अथाह भंडार होता है।  —आचार्य दीप चंद भारद्वाज  

PunjabKesari,  Dharmik Story In Hindi, Lok katha In hindi, Dharmik Hindi katha
 

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!