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Dharmik Katha: भगवान पर भरोसा हो तो रेगिस्तान में भी फूट सकता है पानी का झरना

Edited By Jyoti,Updated: 07 Sep, 2022 11:59 AM

dharmik katha in hindi

स्वामी रामतीर्थ को संन्यास लेने के उपरांत भगवान की प्रेरणा प्राप्त हुई कि उन्हें भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार करने अमरीका जाना चाहिए। उन्होंने समुद्री जहाज से अमरीका जाने की व्यवस्था बनाई। यात्रा की व्यवस्था बनाने हेतु शुल्क किसी अनजान व्यक्ति

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स्वामी रामतीर्थ को संन्यास लेने के उपरांत भगवान की प्रेरणा प्राप्त हुई कि उन्हें भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार करने अमरीका जाना चाहिए। उन्होंने समुद्री जहाज से अमरीका जाने की व्यवस्था बनाई। यात्रा की व्यवस्था बनाने हेतु शुल्क किसी अनजान व्यक्ति ने यूं ही दे डाला, परन्तु अमरीका में प्रवास हेतु कोई साधन उनके पास न था। प्रभु की प्रेरणा से वह जहाज पर सवार तो हो गए तथापि उनके मन में पूरी निश्चिंतता थी कि आगे की सारी व्यवस्था भगवान बनवा ही देंगे।

 अमरीकी बंदरगाह नजदीक आने लगा तो हर कोई अपना सामान इकट्ठा करने लगा, किन्तु स्वामी रामतीर्थ नि:स्पृह भाव से एक कोने में बैठे रहे। तभी एक अमरीकी युवती वहां आई। इतने सारे कोलाहल में भी स्वामी जी को अचल बैठे देखकर उसने स्वामी जी से पूछा-‘‘आप कौन हैं?’’ 

स्वामी जी बोले-‘‘मैं अलमस्त फकीर हूं।’’ 

उस युवती ने फिर प्रश्र किया-‘‘आपके पास कुछ सामान दिखाई नहीं पड़ता, आप अमरीका में कहां ठहरेंगे, क्या आपका यहां किसी से परिचय है?’’

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स्वामी जी उसी निरासक्त भाव से बोले-‘‘फकीर को सम्पत्ति की क्या आवश्यकता? सारा संसार ही प्रभु का घर है। अब तो उन्होंने परिचय भी  बना दिया।’’ 

युवती आश्चर्य से बोली-‘‘किससे?’’ 

स्वामी जी बोले, ‘‘आपसे।’’

उनकी इस अलमस्तता से प्रभावित होकर वह युवती स्वामी रामतीर्थ को अपने घर ले गई और उसी ने उनके अमरीका प्रवास की सारी व्यवस्था बना डाली। भगवान पर भरोसा हो तो रेगिस्तान में भी झरना फूट सकता है।

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