Edited By Jyoti,Updated: 24 Sep, 2022 11:37 AM
महात्मा बुद्ध प्रतिदिन अपने शिष्यों को उपदेश देते थे। बुद्ध के प्रवचन सुनने बड़ी संख्या में शिष्यों के साथ ही अन्य लोग भी पहुंचते थे। एक दिन की बात है कि बुद्ध प्रवचन दे रहे थे। तभी उनके पास एक व्यक्ति पहुंचा और उनसे बोला कि तथागत
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महात्मा बुद्ध प्रतिदिन अपने शिष्यों को उपदेश देते थे। बुद्ध के प्रवचन सुनने बड़ी संख्या में शिष्यों के साथ ही अन्य लोग भी पहुंचते थे। एक दिन की बात है कि बुद्ध प्रवचन दे रहे थे। तभी उनके पास एक व्यक्ति पहुंचा और उनसे बोला कि तथागत मेरे मन में कुछ प्रश्न हैं। कृपया मेरे प्रश्रों के उत्तर दें, ताकि मेरा मन शांत हो सके।
बुद्ध ने उससे कहा कि मैं तुम्हारे प्रश्रों के उत्तर अवश्य दूंगा, लेकिन तुम्हें एक साल तक मौन धारण करना होगा। उस व्यक्ति ने संशय से पूछा कि एक साल बाद आप मेरे प्रश्रों के उत्तर अवश्य देंगे न?
बुद्ध ने कहा, ‘‘एक साल पश्चात तुम्हें अपने सारे प्रश्रों के जवाब मिलेंगे।’’
बुद्ध की बात सुनकर उस व्यक्ति ने मौन व्रत धारण करने का निश्चय किया। मौन की वजह से उसका मन एकाग्र होने लगा। वह ध्यान करने लगा। इससे मन भी शांत होने लगा। धीरे-धीरे उसके सभी प्रश्र समाप्त होने लगे। इस तरह एक साल बीत गया।
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समय की अवधि पूरी होने के पश्चात बुद्ध ने उस व्यक्ति से कहा, ‘‘अब तुम अपने सभी प्रश्र मुझसे पूछ कर अपनी जिज्ञासा को शांत कर सकते हो।’’
उसने बुद्ध से कहा कि एक वर्ष पहले उसके मन में कई प्रश्र थे, लेकिन अब उसके सारे प्रश्र शांत हो गए हैं। अब उसके मन में कोई प्रश्र नहीं है।
बुद्ध ने कहा कि अशांत मन में ही अनेक प्रश्र उठते रहते हैं। इसी वजह से हम प्रश्रों के उत्तर तक पहुंच ही नहीं पाते हैं। कुछ समय मौन धारण करने से हमारे भ्रम दूर होने लगते हैं और हमें सारे प्रश्रों के उत्तर स्वत: ही मिलने लगते हैं। मन शांत हो जाता है, तो सभी प्रश्र भी खत्म हो जाते हैं।