Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Jul, 2024 07:51 AM
वृक्ष वनस्पतियों के जीवन-चक्र की कुछ प्राकृतिक सीमाएं होती हैं। इनमें यद्यपि विज्ञान के तर्क अनुसार जीवों के समान गति तो नहीं होती परन्तु जगदीश चंद्र बसु ने अपने शोध अनुसार पौधों को जीवित घोषित करने में तो सफलता पा ही ली।
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वृक्ष वनस्पतियों के जीवन-चक्र की कुछ प्राकृतिक सीमाएं होती हैं। इनमें यद्यपि विज्ञान के तर्क अनुसार जीवों के समान गति तो नहीं होती परन्तु जगदीश चंद्र बसु ने अपने शोध अनुसार पौधों को जीवित घोषित करने में तो सफलता पा ही ली। कितनी बार पौधे, वृक्ष भी कुछ इस तरह की असामान्य क्रियाएं करते हैं जिन्हें अद्भुत और आश्चर्यजनक कहा जा सकता है। ऐसी विचित्र घटनाओं की व्याख्या विज्ञान जगत के भी पास नहीं होती कि आखिर ये पेड़ ऐसी असामान्य घटनाएं क्यों करते हैं और तब दिल यही कहता है कि प्रकृति के सामने सब नतमस्तक हैं।
वृक्ष-वनस्पतियों का गंभीर अनुसंधान करने वाले सर जगदीशचंद्र बसु ने अपनी पुस्तक ‘वनस्पतियों के स्वलेख’ में वृक्षों से संबंधित अनेक विस्मयकारी एवं चौंकाने वाली घटनाओं का उल्लेख किया है। उन्होंने अपने इस ग्रंथ में पश्चिम बंगाल के फरीदपुर के एक ताड़ वृक्ष का रोचक विवरण दिया है। यह अद्भुत पेड़ प्रात:काल अन्य सभी पेड़ों के समान भूमि पर सीधा खड़ा रहता था परन्तु संध्या होते ही जब मंदिरों में घंटे-घड़ियाल बजने लगते तो उनकी आवाज से यह पेड़ अपनी प्रकृति के विपरीत जमीन पर लेट कर प्रार्थना करता। इस नजारे को देखने के लिए प्रतिदिन हजारों लोग वहां आते थे।
कहते हैं कि पेड़ के समक्ष मांगी गई मुराद तो पूरी होती ही थी साथ ही रोग भी दूर होते थे परन्तु ऐसा क्यों और कैसे होता था, यह आज तक रहस्य के पर्दे में छिपा है।
फरीदपुर में ही एक स्नान करने वाला वृक्ष था। यह सरोवर के जल में स्नान करता था। स्नान करने के लिए जल को स्पर्श करते समय उसकी बेचैनी, पीड़ा देखने लायक होती थी। अंत में अगाध प्रयासों के बाद वह स्वयं को जल में डुबोकर परम शांति महसूस करता। स्नान कर लेने के बाद वह पुन: अपनी स्थिति में आ जाता और सीधा खड़ा हो जाता। इस पेड़ का स्नान अपने आप में अजूबा है। जगदीशचंद्र बसु ने अपनी पुस्तक में भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में पाए जाने वाले रहस्यमय पेड़ों के बारे में भी बताया है।
इंगलैंड के लिवरपूल में ऐसे ही एक पेड़ का जिक्र है। लिवरपूल में शिप्टन से निकली एक छोटी-सी नदी बहती है वहां एक विलो का पेड़ है जो काफी मोटा और ऊंचा है। यह पेड़ भी कभी-कभी प्रार्थना किया करता था। प्रार्थना के समय यह पेड़ अजीबो-गरीब ढंग से लंबवत धरती पर लेट जाता और प्रार्थना पूरी होते ही पुन: सामान्य स्थिति में सीधा खड़ा हो जाता था।
पेड़ों की इस अद्भुत घटना में दक्षिण अफ्रीका के नारियल के पेड़ों की प्रार्थना भी बड़ी विख्यात है। वहां के एक खेत में कुछ नारियल के पेड़ एक ओर नीचे की ओर झुक गए। तभी से इन पेड़ों में एक परिवर्तन आया, वे प्रात: काल नित्य जमीन पर एक ओर झुक कर प्रणाम करते। खेत मालिक भी इससे हैरान था। यह स्थिति काफी लम्बे समय तक चलती रही। पेड़ों की इन क्रियाओं के अनेक किस्से हैं जो बताते हैं कि पेड़ भी इंसानों की भांति भावनाएं रखते हैं। इनमें भी जीवन है, समझ है पर ये अपनी अभिव्यक्ति प्रकट करने में असमर्थ हैं। बस जरूरत है इनकी भावनाओं को समझने की।