Edited By Niyati Bhandari,Updated: 28 May, 2023 07:17 AM
धूमावती देवी को एक रथ की सवारी करते हुए उस पर लगे ध्वजा में कौवा के प्रतीक को दिखाते हुए एक बदसूरत बुजुर्ग विधवा
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Dhumavati Jayanti 2023: धूमावती देवी को एक रथ की सवारी करते हुए उस पर लगे ध्वजा में कौवा के प्रतीक को दिखाते हुए एक बदसूरत बुजुर्ग विधवा महिला के रूप में दर्शित किया गया है। जिसके बाल सफेद होते हैं और वह सफेद साड़ी में दिखाई देती हैं। उनकी उपस्थिति भले ही खतरनाक और डरावनी है लेकिन वो हमेशा पापियों और राक्षसों का विनाश करती हैं। जोकि इस बात का प्रतीक है कि सच्चाई में विश्वास और सदाचार हर दुख को मिटा देता है। इस दिन पूजा करने से भक्तों के सारे पाप और समस्याएं खत्म हो जाती हैं।
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Dhumavati Jayanti auspicious time धूमावती जयंती शुभ मुहूर्त
धूमावती जयंती आज 28 मई 2023 रविवार को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 27 मई 2023 को सुबह 07.43 मिनट पर होगी और अगले दिन 28 मई 2023 को सुबह 09.57 मिनट पर इसका समापन होगा
Rituals and Traditions for Dhumavati Jayanti धूमावती जयंती के लिए अनुष्ठान एवं परम्पराएं
पूजा के लिए एक नियत स्थान का चुनाव करके उसे सजाया जाता है। उसके बाद देवी की पूजा धूप, अगरबत्ती और फूलों के साथ की जाती है।
इस दिन भक्त सूर्योदय से पहले सुबह उठ जाते हैं और पूरे दिन पूजा के अनुष्ठान से जुड़े कार्यों के लिए तैयार रहते हैं।
इस दिन देवी को काले कपड़े में बंधा हुआ तिल समर्पित किया जाता है। मान्यता है कि अगर काले तिल के बीज देवी को चढ़ाए जाएं तो भक्त की मनोकामना पूरी हो जाती है।
इस दिन विशेष रूप से प्रसाद को तैयार किया जाता है। पूजा करते हुए देवी मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। मंत्र उच्चारण से देवी प्रसन्न होती हैं और दुखों को समाप्त करके जिंदगी में खुशियों के लिए आशीर्वाद देती हैं।
जब मंत्र समाप्त हो जाते हैं, तब आरती की जाती है और उसके बाद परिवार के सदस्यों और पूजा स्थल पर मौजूद भक्तों में प्रसाद का वितरण किया जाता है।
धूमावती जयंती के दिन रात में धूमधाम से देवी माता की शोभायात्रा का आयोजन किया जाता है। इस शोभायात्रा में सिर्फ पुरुष ही शामिल हो सकते हैं।
वैसे विवाहित लोगों को धूमावती की पूजा नहीं करने के लिए कहा जाता है, ऐसा इसलिए कहा जाता है कि उनकी पूजा से एकांत की इच्छा जागृत होती है। सांसारिक चीजों से मोह भंग होने लगता है। भौतिक धन और सुख की प्राप्ति के लिए भक्त पूरी भक्ति और मनोयोग से देवी धूमावती की पूजा करते हैं। इस दिन वो विशेष उल्लास के साथ तैयार रहते हैं और शोभा यात्रा में शामिल होकर आनंद प्राप्त करते हैं।
विवाहित महिलाएं इस शोभा यात्रा में शामिल नहीं हो सकती है। परम्परा के अनुसार इन्हें माता धूमावती की पूजा करना निषेध है। ऐसी मान्यता है कि इस परम्परा को वो अपने पति और बच्चों की सुरक्षा के लिए मानती है या पालन करती है, वो इस पूजा को केवल दूर से देख सकती हैं।
Offer these things to the goddess Dhumavati देवी को लगाएं इस चीज का भोग
मां धूमावती ने पापियों के नाश के लिए अवतार लिया था इसलिए वह ज्येष्ठा भी कहलाती हैं। उनकी पूजा करना काफी फलकारी है। मां की पूजा धन प्राप्ति के लिए भी की जाती है। उनकी साधनाएं साधारण नहीं बल्कि उग्र होती हैं। मध्य प्रदेश के दतिया में मां धूमावती का बड़ा मंदिर है। खास बात ये है कि इन देवी को भोग में मीठा नहीं बल्कि नमकीन चढ़ाया जाता है। दतिया पीठ में मां को कचौड़ी और पकोड़े का भोग लगाया जाता है।
वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड राष्ट्रीय गौरव रत्न से विभूषित
पंडित सुधांशु तिवारी
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