Edited By Niyati Bhandari,Updated: 08 Oct, 2024 12:36 PM
दशहरा जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है। यह त्योहार भगवान राम की रावण पर विजय और देवी दुर्गा की महिषासुर पर जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Dussehra and Vijayadashami 2024: दशहरा जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है। यह त्योहार भगवान राम की रावण पर विजय और देवी दुर्गा की महिषासुर पर जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस दिन की पूजा का सही तरीका और दिशा भी महत्वपूर्ण है, ताकि शत्रुओं का नाश हो सके और घर में सुख-समृद्धि बनी रहे। दशहरा की पूजा न केवल शत्रुओं का नाश करने में मदद करती है, बल्कि यह घर में सुख-शांति और समृद्धि भी लाती है। पूजा की सही दिशा और विधि अपनाकर आप अपने जीवन में सकारात्मकता और शक्ति का संचार कर सकते हैं। अपने इरादों को मजबूत बनाएं और निश्चित रूप से विजय प्राप्त करें।
Direction of Dussehra Puja दशहरा पूजा की दिशा
दशहरा की पूजा करते समय दिशा का ध्यान रखना आवश्यक है। भारतीय वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा करते समय उत्तर या पूर्व दिशा का चुनाव करना शुभ माना जाता है।
उत्तर दिशा: उत्तर दिशा को धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिशा की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और शत्रुओं पर विजय पाने की शक्ति मिलती है। इस दिशा में पूजा करते समय, आप अपने लक्ष्यों को स्पष्ट रूप से निर्धारित कर सकते हैं।
पूर्व दिशा: पूर्व दिशा को ज्ञान और विद्या का स्थान माना जाता है। इस दिशा में पूजा करने से मानसिक शक्ति और बुद्धि में वृद्धि होती है, जिससे व्यक्ति अपनी समस्याओं का समाधान बेहतर ढंग से कर सकता है।