Diwali Puja: जानें, दिवाली पर क्यों की जाती है श्री गणेश, देवी लक्ष्मी और मां सरस्वती की पूजा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 24 Oct, 2022 08:40 AM

diwali puja

दीपावली पर्व पर धन एवं सम्पदा की देवी मां लक्ष्मी जी तथा विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा की जाती है। भगवान श्री गणेश ऋद्धि-सिद्धि के प्रदाता हैं, इसलिए

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Diwali Puja 2022 : दीपावली पर्व पर धन एवं सम्पदा की देवी मां लक्ष्मी जी तथा विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा की जाती है। भगवान श्री गणेश ऋद्धि-सिद्धि के प्रदाता हैं, इसलिए हर शुभ कार्य के प्रारंभ में इन्हें प्रथम स्थान दिया जाता है। प्रथम पूूज्य होने का वरदान प्राप्त गणेश जी का पूजन किए बिना किसी भी देवता की पूजा प्रारंभ नहीं की जाती, इसलिए लक्ष्मी जी के पूजन से पूर्व गणेश जी का पूजन किया जाता है।

Why Ganesh and Lakshmi and Saraswati are worshipped together: श्री गणेश जी को सम्पूर्ण विद्या तथा बुद्धि का स्वामी भी कहा गया है। लक्ष्मी जी के साथ गणेश पूजन का सबसे बड़ा कारण है कि धन के साथ बुद्धि भी सदा साथ रहे, क्योंकि सद्बुद्धि के अभाव में धन का दुरुपयोग होना निश्चित है।
लक्ष्मी जी की स्तुति इस प्रकार करें :
पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणि।
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥
अर्थात :
हे कमल के आसन पर विराजमान परब्रह्मस्वरूपिणी देवि! हे परमेश्वरि! हे जगदम्बा! हे महालक्ष्मी! तुम्हें मेरा प्रणाम है।

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भगवान गणेश जी की भी स्तुति इस प्रकार करनी चाहिए :
एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं।
विघ्ननाशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥
अर्थात :
जो एक दांत से सुशोभित, विशाल शरीर वाले, लम्बोदर, गजानन हैं तथा जो विघ्नों के विनाशकर्ता हैं, मैं उन भगवान हेरम्ब को प्रणाम करता हूं।

जो विश्व के मूल कारण, कल्याण स्वरूप, संसार की सृष्टि करने वाले, सत्यरूप तथा सत्यपूर्ण हैं, उन आप गणेश को बारम्बार नमस्कार है। मां लक्ष्मी, भगवान विष्णु की पत्नी हैं और धन, सम्पदा, शांति और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। दीपावली के त्यौहार में उनकी गणेश सहित पूजा की जाती है। देवी की जितनी भी शक्तियां मानी गई हैं, उन सब की मूल भगवती लक्ष्मी जी ही हैं। ये ही सर्वोत्कृष्ट पराशक्ति हैं। इनकी थोड़ी-सी कृपा प्राप्त करके व्यक्ति वैभववान हो जाता है। समस्त सम्पत्तियों की अधिष्ठात्री श्रीदेवी शुद्ध सत्वमयी हैं।
भगवान जब-जब अवतार लेते हैं, तब-तब भगवती महालक्ष्मी भी अवतीर्ण होकर उनकी प्रत्येक लीला में सहयोग देती हैं।

नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते ।
शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥
अर्थात :
श्रीपीठ पर स्थित और देवताओं से पूजित होने वाली हे महामाये, तुम्हें नमस्कार है। हाथ में शंख, चक्र और गदा धारण करने वाली हे महालक्ष्मी! तुम्हें प्रणाम है।

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श्री गणेश जी विघ्न विनाषक हैं। भगवान गणेश का स्वरूप अत्यंत ही मनोहर एवं मंगलदायक है। वह एकदंत और चतुर्बाहु हैं। अपने चारों हाथों में वह क्रमश: पाश, अंकुश, मोदकपात्र तथा वरमुद्रा धारण करते हैं। वह अपने उपासकों पर शीघ्र प्रसन्न होकर उनकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। भगवान श्रीगणेश भगवती उमा-भगवान शिव के पुत्र हैं। वह अग्रपूज्य, गणों के ईश, स्वस्तिक रूप तथा प्रणव स्वरूप हैं। उनके बारह नाम अत्यंत प्रसिद्ध हैं। इन नामों का पाठ अथवा श्रवण करने से विद्यारम्भ, विवाह, गृह-नगरों में प्रवेश तथा गृह-नगर से यात्रा में कोई विघ्न नहीं होता :

सुमुखश्चैकदंतश्च कपिलो गजकर्णक:।
लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायक:॥
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजानन:।
द्वादशैतानि नामानि य: पठेच्छृणुयादपि॥
विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा।
संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते॥

प्रजापति विश्वकर्मा की सिद्धि-बुद्धि नामक दो कन्याएं गणेश जी की पत्नियां हैं। सिद्धि से क्षेम और बुद्धि से लाभ नाम के शोभा सम्पन्न दो पुत्र हुए। श्रीगणेश जी विद्या-बुद्धि और समस्त सिद्धियों के दाता तथा थोड़ी उपासना से प्रसन्न हो जाते हैं। उनके जप का मंत्र ‘गं गणपतये नम:’ है।

भगवान शंकर के गणों के मुख्य अधिपति हैं श्री गणेश जी। उन गणाधिपति की प्रथम पूजा न हो तो कर्म के र्निवघ्न पूर्ण होने की आशा कम ही रहती है। पंच देवोपासना में भगवान गणपति मुख्य हैं। भगवान श्री गणेश साक्षात प्रणवरूप हैं। उनके श्रीविग्रह का ध्यान, उनके मंगलमय नाम का जप और उनकी आराधना मेधा-शक्ति को तीव्र करती है। यदि भगवान गणेश जी महर्षि वेदव्यास जी के आग्रह पर महाभारत का लेखन कार्य न करते तो भगवान व्यास के इस पंचम वेद से जगत वंचित ही रह जाता।

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Saraswati puja मां सरस्वती जी की भी पूजा
दीपावली पर मां सरस्वती जी की भी पूजा की जाती है। उन्हें ज्ञान और कला की देवी माना जाता है। जो कुंद-पुष्प और हिम-माला के समान उज्ज्वल-वर्णा हैं, जो उज्ज्वल वस्त्र-धारणी हैं, जो सुन्दर वीणा-दण्ड से सुशोभित कर-कमलों वाली हैं और जो सदा ब्रह्मा-विष्णु-महेश आदि देवताओं द्वारा वन्दिता हैं, वह जड़ता को निर्मूल करने वाली भगवती सरस्वती। दीपावली पर्व हम सबके लिए सम्पूर्ण रूप से फलदायी हो। हमारे सभी कार्य निर्विघ्न रूप से सम्पन्न हों, उसके लिए सुबुद्धि प्रदाता भगवान गणपति जी, धन सम्पदा की प्राप्ति के लिए मां लक्ष्मी तथा ज्ञान प्राप्ति के लिए मां सरस्वती जी का पूजन दीपावली पर्व पर किया जाता है। हमारे बच्चों को और हमारे युवा वर्ग को हमारी सनातन पर्व परंपरा के महत्व का ज्ञान होना परमावश्यक है, ताकि हम सब भारतीय संस्कृति के इन पर्वों को श्रद्धा एवं उत्साह से मनाएं।

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