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Diwali पर क्यों होती है लक्ष्मी-गणेश की पूजा, यकीनन नहीं जानते होंगे, जानने के लिए करें Click

Edited By Jyoti,Updated: 20 Oct, 2022 04:10 PM

diwali worship of lakshmi and ganesh ji

लगातार हम आपको अपनी वेबसाइट के जरिए दिवाली के साथ-साथ इसे आगे-पीछे पड़ने वाले यानि दिवाली के पांच दिवसीय पर्व से जुड़ी विभिन्न प्रकार की जानकारी दे रहे हैं। इसी कड़ी में एक बार फिर हम आपके लिए कार्तिक मास के प्रमुख पर्व में से एक दिवाली से जुड़ी सबसे

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लगातार हम आपको अपनी वेबसाइट के जरिए दिवाली के साथ-साथ इसे आगे-पीछे पड़ने वाले यानि दिवाली के पांच दिवसीय पर्व से जुड़ी विभिन्न प्रकार की जानकारी दे रहे हैं। इसी कड़ी में एक बार फिर हम आपके लिए कार्तिक मास के प्रमुख पर्व में से एक दिवाली से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण व खास जानकारी देने जा रहे हैं। बता दें ये ऐसी जानकारी है जिसके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं। तो चलिए बिना देर करते हुए क्या है ये खास जानकारी जानने के लिए आगे किए गए उल्लेख को ध्यान से पढ़िए-

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हिंदू पंचांग व धर्म के अनुसार कार्तिक मास भगवान विष्णु को समर्पित है। जिसे संपूर्ण रूप से हिंदू धर्म के त्योहारों का पर्व माना जाता है। बात करें इसके सबसे महत्वपूर्ण त्योहार की, वो है दिवाली। अतः इसके शुरू होते ही दीपों के इस पर्व की तैयारियां जोरों-शोरों से शुरू हो जाती हैं। जहां इस पूरे मास में खासतौर पर तुलसी व शालिग्राम की पूजा का अधिक महत्व है। तो वहीं दिवाली पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की विशेष पूजा और आराधना की जाती है। परंतु क्या आप में से कोई इस जानता है कि आखिर दिवाली की रात को मुख्य रूप से लक्ष्मी-गणेश इनकी पूजा-अर्चना क्यों की जाती है?

अगर नहीं तो चलिए आज हम आपको आपके लिए सवाल का जवाब देते हैं कि आखिर इस दिन लक्ष्मी-गणेश की पूजा करने का कारण क्या है-
कहा जाता है कि धन की देवी मां लक्ष्मी इस दिन घर में प्रवेश करती हैं। इस दिन धन-संपदा और शांति के लिए लक्ष्मी और गणेश भगवान की विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन होता है। इसी के साथ अगर धार्मिक मान्यताओं की मानें तो कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या यानि दिपावली के दिन ही समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी का आगमन हुआ था। एक अन्य मान्यता के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी का जन्म दिवस होता है। कुछ स्थानों पर इस दिन को देवी लक्ष्मी के जन्म दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
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यहां विस्तारपूर्वक जानें मां लक्ष्मी के साथ क्यों होती है भगवान गणेश का पूजा-
बता दें कि इसके पीछे बैरागी साधु की कथा भी प्रचलित है।दरअसल एक बार एक वैरागी साधु को राजसुख भोगने की लालसा हुई उसने लक्ष्मी जी की आराधना की। उसकी आराधना से लक्ष्मी जी प्रसन्न हुईं और उसे साक्षात् दर्शन देकर वरदान दिया कि उसे उच्च पद और सम्मान प्राप्त होगा। दूसरे दिन वह वैरागी साधु राज दरबार में पहुंचा। वरदान मिलने के बाद उसे अभिमान हो गया। उसने राजा को धक्का मारा जिससे राजा का मुकुट नीचे गिर गया। राजा व उसके दरबारीगण उसे मारने के लिए दौड़े। लेकिन इसी बीच राजा के गिरे हुए मुकुट से एक कालानाग निकल कर भागने लगा। फिर क्या राजा ने इसे साधु की चमत्कार समझकर उसे अपना मंत्री बना लिया.. व उसे रहने के लिए अलग से महल भी दिया। इसी तरह फिर एक दिन उस साधु ने राजा ने अनजाने में राजा की जान बचा। और ऐसे साधु को वाहवाही मिल गई। इससे उसका अहंकार और भी बढ़ गया। इसके बाद अहंकारी साधु ने भगवान गणेश की प्रतिमा को बुरा बताते हुए महल से उसे हटवा दिया फिर क्या बुद्धि और विवेक के दाता भगवान गणेश उससे नाराज़ हो गए। उसी दिन से उस मंत्री बने साधु की बुद्धि बिगड़ गई वह उल्टा पुल्टा करने लगा।
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तभी राजा ने उस साधू से नाराज होकर उसे कारागार में डाल दिया। साधू जेल में पुनः लक्ष्मीजी की आराधना करने लगा। फिर मां लक्ष्मी ने दर्शन दे कर उससे कहा कि तुमने गणेश जी का अपमान किया है। इसलिए गणेश जी की आराधना करके उन्हें प्रसन्न करो। फिर साधु ने ऐसा ही किया। जिससे भगवान गणेश का क्रोध शांत हो गया। गणेश जी ने राजा के स्वप्न में आ कर कहा कि साधु को पुनः मंत्री बनाया जाए। राजा ने गणेश जी के आदेश का पालन किया और साधु को मंत्री पद देकर सुशोभित किया। इस तरह लक्ष्मीजी और गणेश जी की पूजा साथ-साथ होने लगी। इसलिए कहते हैं कि बुद्धि के देवता गणेश जी की भी उपासना लक्ष्मी जी के साथ ज़रूर करनी चाहिए क्योंकि अगर लक्ष्मी घर में आ भी जाये तो बुद्धि के उपयोग के बिना उन्हें रोक पाना मुश्किल है। अतः इस कारण के चलते दीपावली की रात्रि में लक्ष्मीजी के साथ गणेशजी की भी आराधना की जाती है।

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