Edited By Niyati Bhandari,Updated: 15 Sep, 2022 07:58 AM
वैसे तो गुरुवार का दिन भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित है। इस रोज़ उनकी पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। क्या आप जानते हैं गुरुवार को मां लक्ष्मी की पूजा और कुछ खास काम करने से
Doing this on a Thursday will make you rich: वैसे तो गुरुवार का दिन भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित है। इस रोज़ उनकी पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। क्या आप जानते हैं गुरुवार को मां लक्ष्मी की पूजा और कुछ खास काम करने से वे सदा आपके घर में वास करती हैं। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में घर को साफ करने के बाद चावल के लेप से रंगोली सजाएं, मां लक्ष्मी के चरण जरूर बनाएं। महालक्ष्मी संग भगवान विष्णु की पूजा कर सुबह और शाम को दीपदान करें।
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Guruwar Ke Upay: किसी सुहागन स्त्री को गुरुवार के दिन सुहाग अथवा शृंगार प्रसाधन देने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं।
brahspativaar ke upay: गुरुवार को घर के बच्चे तथा कुंवारी कन्याएं हल्दी मिश्रित चावल चिड़ियों को खिलाएं तो ग्रह पीड़ाओं का शमन होता है और घर में सुख शांति आती है।
बरगद अथवा बड़ के ताजे तोड़े पत्ते पर हल्दी से स्वस्तिक बनाकर पुष्य नक्षत्र में घर में रख लें, आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
व्यापार संबंधी पत्रचार करते समय उस पर हल्दी अथवा केसर के छीटें लगा लिया करें।
महिलाओं का आदर करने से तथा कुंवारी कन्याओं को (दस वर्ष से कम उम्र की) देवी स्वरूप मानकर प्रसन्न करने से सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है।
हर गुरुवार को तुलसी के पौधे को दूध चढ़ाना चाहिए।
Lakshmi Mantra: महालक्ष्मी के आठ स्वरूप हैं- आदि लक्ष्मी, धन लक्ष्मी, गज लक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी, वीर लक्ष्मी, विजयालक्ष्मी, संतान लक्ष्मी और विद्या लक्ष्मी। इन सभी रूपों की पूजा करने के बाद मंत्रों का जाप करें। ऐसा करने से मां प्रसन्न होती हैं। लक्ष्मी साधकों के लिए ऊनी और रेशमी आसन तथा कमलगट्टों की माला विशेष रूप से सिद्धि प्रदायक होती है।
श्री लक्ष्मी बीज मंत्र: ॐ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।
श्री लक्ष्मी महामंत्र: ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।
ऊं आद्यलक्ष्म्यै नम:
ऊं विद्यालक्ष्म्यै नम:
ऊं सौभाग्यलक्ष्म्यै नम:
ऊं अमृतलक्ष्म्यै नम:
ऊं कामलक्ष्म्यै नम:
ऊं सत्यलक्ष्म्यै नम:
ऊं भोगलक्ष्म्यै नम:
ऊं योगलक्ष्म्यै नम: