Edited By Sarita Thapa,Updated: 27 Mar, 2025 01:53 PM

Durga Ambadevi Temple: बहुत जल्द चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होने जा रही है। नवरात्रि के इस पावन अवसर पर लोग दूर-दार से माता के हर एक शक्तिपीठों के दर्शन करने के लिए आते हैं। मध्यप्रदेश में विराजी मां अम्बादेवी का ये द्वार आने वाले हर भक्त के मन को मोह...
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Durga Ambadevi Temple: बहुत जल्द चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होने जा रही है। नवरात्रि के इस पावन अवसर पर लोग दूर-दार से माता के हर एक शक्तिपीठों के दर्शन करने के लिए आते हैं। मध्यप्रदेश में विराजी मां अम्बादेवी का ये द्वार आने वाले हर भक्त के मन को मोह लेता है। यह माता रानी के 108 शक्तिपीठों में से एक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब देवी सती ने अपने पिता राजा दक्ष के अपमान पर हवन कुंड में कूद गईं थी। तब भगवान शिव मां सती के शव को लेकर पूरे ब्रह्माण्ड में ताडंव करने लगे थे। इसके बाद जहां-जहां देवी सती के अंग व आभूषण गिरे वो जगहें शक्तिपीठ के नाम से प्रसिद्ध हो गई। माता रानी का ये धाम बहुत ही अद्भुत और अनोखा है, जो अपने आप में प्रसिद्ध् हासिल किए हुए हैं। तो आइए जानते हैं मां के इस पावन धाम की खासियत के बारे में-
मां के इस स्थान पर देवी सती की चुनरी गिरी थी। इसी कारण इस मंदिर को चुनरी वाली माता के नाम से भी जाना जाता है। ये धाम मध्यप्रदेश के बैतुल जिले के धारुड नामक गांव के घने जंगलों में वैभवशाली शक्ति के साथ सुशोभित है। इसके अतिरिक्त इस मंदिर से जुड़ी कई मान्यताएं भी प्रचलित हैं। मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर की खोज मनिहार यानि कांच की चूड़ियां बेचने वाली मंगला देवी नामक एक महिला ने की थी। जिसे भक्त, मां मंगला कहकर पुकारते है। उसने मां की आराधना कर सिद्धि प्राप्त कर ली थी। कहते हैं यहां आने वाले हर भक्त को मां खुद के होने का आभास ज़रूर कराती है। यही नहीं इस मंदिर की दिलचस्प बात ये है कि यहां मां के दर्शन करने इंसान ही नहीं, शेर भी आते हैं। जो इस बात का सबूत है कि मां आज भी इस मंदिर में विराजित है।
एक और हैरान करने वाली बात ये है कि आज तक इन शेरों ने किसी भी भक्त को कभी भी नुकसान नहीं पहुंचाया। कहा जाता है इस मंदिर में एक गुप्त गुफा भी है। जिसके अंदर एक ऋषि- मुनि का आश्रम स्थित है। जहां कई सालों से महान ऋषि- मुनि तपस्या में लीन हैं। इस आश्रम के दर्शन अंबे मां के दरबार में आने वाला हर भक्त करना चाहता है। लेकिन इस गुफा में जाना मौत को गले लगाने से कम नहीं है क्योंकि वहां जाने के मार्ग में कई जंगली जानवरों का सामना करना पड़ता है। लेकिन लोगों का कहना हैं कि मंगला देवी ने इस गुप्त गुफा के कई भक्तों को दर्शन भी करवाएं हैं। इनमें से कुछ भक्त आज भी जिंदा हैं। मंगला देवी के स्वर्ग वास के बाद कई लोगों ने इस गुफा में जाने का प्रयास भी किया लेकिन कोई सफल न हुआ लेकिन आए दिन मां अपने भक्तों अपने होने का संकेत करवाती रहती हैं।

ऐसा भी कहा जाता है कि किस्मत वालों को ही मां का बुलावा आता है। कितनी भी दर्शन की इच्छा हो लेकिन जब तक मां का बुलावा नहीं आ जाता तब तक अम्बा देवी नहीं आ सकते है। मां अम्बादेवी की दर्शन यात्रा बैतुल जिले से आरम्भ होती है। रास्ते में घना जंगल और अनेक घाट के साथ- साथ कई खतरनाक मोड़ भी आते है, भक्तों का ऐसा विश्वास है कि जंगल के बीच रास्ते में आने वाले नहालदेव बाबा के दर्शन मात्र से ही सभी बाधाएं दूर हो जाती है।
इसके थोड़ा आगे चलकर एक बड़ी पहाड़ी आती हैं। जहां से माता के दरबार पहुंचने के लिए सीधी चढ़ाई चढ़ना पड़ता है।इसलिए इस स्थान को खड़ी पहाड़ी कहा जाता है। इन पहाड़ियों पर निरन्तर मां के जयकारे गूंजते रहते हैं। नवरात्रों में ये नज़ारा देखने वाला होता है। दूर- दूर से भक्तजन मां के दर्शन करने आते है। इस शक्तिपीठ की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि अम्बा माई का हर रोज जलाभिषेक कर चोला और वस्क् पहनाकर श्रृंगार किया जाता है। अगर आप भी अंबे मां की कृपा का पात्र बनना चाहते हैं तो इस नवरात्रों में मां के दर्शन करने मां अंबा देवी जरूर जाएं।
