Edited By Niyati Bhandari,Updated: 15 Apr, 2024 11:54 AM
नवरात्रि का त्योहार शुरू होते ही हर कोई माता रानी को प्रसन्न करने में लग जाता है। ऐसे में कई भक्त नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ भी करते हैं। माना जाता है नवरात्र में हर रोज दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से
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Durga Saptashati Path: नवरात्रि का त्योहार शुरू होते ही हर कोई माता रानी को प्रसन्न करने में लग जाता है। ऐसे में कई भक्त नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ भी करते हैं। माना जाता है नवरात्र में हर रोज दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है और हर तरह के संकट से भी मुक्ति मिलती है। पाठ के हर अध्याय का अलग-अलग फल मिलता है और सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। जो भी इंसान शीघ्र अपनी कोई भी मनोकामना पूरी करना चाहता है उसे इस पाठ से लाभ ज़रूर प्राप्त होता है। शास्त्रों के अनुसार भगवान शकंर ने स्वयं देवी पार्वती को इस पाठ को करने की सलाह दी थी व इसकी शक्ति की व्याख्या भी की थी।
Durga Saptashati Path ke niaym: दुर्गा सप्तशती में 13 अध्याय होते हैं। इन 13 अध्याय को नवरात्रि के दौरान काफी नियम से पढ़ा जाता है। दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से कई परेशानियों का अंत होता है। इसे सुरक्षा कवच भी माना जाता है। इससे गृह कलेश या धन संबंधित परेशानियां भी दूर होती हैं। दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के कुछ नियम भी होते हैं, जिनके बारे में पता होना बेहद जरूरी होता है। यह हैं दुर्गा सप्तशती पढ़ने के नियम-
पहला नियम- दुर्गा सप्तशती पुस्तक को कभी भी हाथ में लेकर पाठ न करें। शास्त्रों में पुस्तक को कभी भी हाथ में लेकर पाठ नहीं करना चाहिए। पुस्तक को या तो व्यासपीठ में रखकर पाठ करें या फिर लाल रंग के कपड़े के ऊपर रखकर पाठ करें।
दूसरा नियम- दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय आपको विराम नहीं लेना चाहिए। जब भी आप दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू करें तो बीच में रुकना नहीं चाहिए। आप एक अध्याय समाप्त होने के बाद 10 से 15 सेकेंड का विराम ले सकते हैं।
तीसरा नियम- दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय इस बात का ख्याल रखें कि आपकी गति न तो बहुत ज्यादा तेज होनी चाहिए और न ही बहुत ज्यादा धीरे। इसका पाठ मध्यम गति में करना चाहिए। इस बात का भी ध्यान रखें कि पाठ करते समय शब्दों का उच्चारण बिल्कुल स्पष्ट हो।
चौथा नियम- दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले आसन में बैठते समय सबसे पहले खुद की शुद्धि करें, उसके बाद ही सप्तशती का पाठ शुरू करें।
पांचवा नियम- दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू करने से पहले पुस्तक को नमन और ध्यान करें। इसके बाद पुस्तक को प्रणाम करें और पाठ शुरू करें।
छठा नियम- यदि एक दिन में पूरा पाठ न किया जा सके, तो पहले दिन केवल मध्यम चरित्र का पाठ करें और दूसरे दिन शेष 2 चरित्र का पाठ करें। या फिर दूसरा विकल्प यह है कि एक, दो, एक चार, दो एक और दो अध्यायों को क्रम से सात दिन में पूरा करें।
अगर आप भी दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं तो इन नियमों का ज़रूर पालन करें।