Earth core Rotation: धरती के केंद्र ने उल्टी दिशा में घूमना शुरू कर दिया !

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Feb, 2023 01:03 PM

earth core rotation

पृथ्वी का ठोस आंतरिक भाग प्लूटो के समान आकार का है और लोहे का एक गर्म गोला है। वैज्ञानिकों के मुताबिक यह बाकी ग्रह की तरह घूमना बंद कर चुका है

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Earth core Rotation: पृथ्वी का ठोस आंतरिक भाग प्लूटो के समान आकार का है और लोहे का एक गर्म गोला है। वैज्ञानिकों के मुताबिक यह बाकी ग्रह की तरह घूमना बंद कर चुका है और हो सकता है कि यह विपरीत दिशा में भी घूम रहा हो। हम पृथ्वी की ऊपरी सतह पर रहते हैं और इसके लगभग 5,000 किलोमीटर नीचे यह ग्रह के भीतर का ग्रह है। पृथ्वी का यह ठोस आंतरिक कोर खुद स्वतंत्र रूप से घूम सकता है क्योंकि यह केवल तरल धातुओं से घिरा हुआ है। इस ठोस आंतरिक कोर के बारे में हम जो कुछ भी जानते हैं वह भूकम्पीय तरंगों को मापने से आता है। ये तरंगें परमाणु विस्फोटों से भी उत्पन्न हो सकती हैं और ये ठीक पृथ्वी के केंद्र से होकर गुजरती हैं।

PunjabKesari Earth core Rotation

पृथ्वी के इस अंदरूनी हिस्से (आंतरिक कोर) की गति पर वैज्ञानिकों ने यह नया शोध 23 जनवरी को प्रकाशित किया है।नेचर जियोसाइंस जर्नल में प्रकाशित इस रिपोर्ट में पिछले छह दशकों में बार-बार आए भूकम्पों और उनसे उत्पन्न भूकम्पीय तरंगों का विश्लेषण किया गया है।

What did the research find शोध से क्या पता चला?
अध्ययन के लेखक शियाओडोंग सोंग और झी यांग चीन में बीजिंग विश्वविद्यालय से हैं। उन्होंने कहा, 2009 के आसपास पृथ्वी के आंतरिक कोर की गति रुक गई और फिर यह विपरीत दिशा में चलने लग गया।

उन्होंने बताया, ‘‘हम मानते हैं कि पृथ्वी का कोर एक गोल झूले की तरह आगे और पीछे घूमता है।’’

दोनों वैज्ञानिकों का कहना है, ‘‘कोर के एक पूरे चक्र में करीब सात दशक लगते हैं। इसका मतलब है कि इसकी दिशा लगभग हर 35 साल में बदल जाती है। उन्होंने कहा कि ठोस कोर ने पहली बार 1970 के दशक की शुरूआत में दिशा बदली और इसका अगला चक्र 2040 के दशक के मध्य में शुरू होगा।’’

शोधकर्ताओं के अनुसार यह घुमाव पृथ्वी पर दिन की लंबाई से जुड़ा हुआ है। यह परिवर्तन पृथ्वी को अपनी धुरी पर घूमने में लगने वाले समय में छोटे बदलावों के कारण होता है।

हालांकि, इस संबंध में और अधिक शोध की आवश्यकता है। इससे जुड़ी मौजूदा जानकारी सीमित है और अभी तक यह नहीं बताया जा सका है कि पृथ्वी का आंतरिक कोर क्या करता है और यह पृथ्वी की सतह के निवासियों को कैसे प्रभावित करता है लेकिन शोधकर्ताओं ने कहा कि उनका मानना है कि पृथ्वी की सभी परतें, आंतरिक परतों से लेकर बाहरी सतह तक, आपस में गहराई से जुड़ी हुई हैं।

PunjabKesari Earth core Rotation

 रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘हमें उम्मीद है कि हमारा अध्ययन कुछ शोधकर्ताओं को ऐसे मॉडल विकसित करने और परीक्षण करने के लिए प्रेरित कर सकता है जो संपूर्ण पृथ्वी को एक एकीकृत और गतिशील प्रणाली के रूप में मानते हैं।’’

दूसरी ओर कई विशेषज्ञों, जो इस शोध में शामिल नहीं थे, ने कई अन्य सिद्धांतों की ओर इशारा करते हुए इसके निष्कर्षों के बारे में सावधानी के साथ और चेतावनी दी कि पृथ्वी के केंद्र के बारे में कई रहस्य बने हुए हैं।

शोधकर्ताओं के अनुसार यह घुमाव पृथ्वी पर दिन की लंबाई से जुड़ा हुआ है। दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के एक भूकम्पविज्ञानी जॉन विडाले ने कहा, ‘‘यह उत्कृष्ट वैज्ञानिकों द्वारा बहुत अधिक डाटा के साथ किया गया एक बहुत ही सावधानीपूर्ण अध्ययन है। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन कोई भी मॉडल मेरी राय में सभी डाटा को बहुत अच्छी तरह से नहीं समझाता।’’

विडाले ने पिछले साल एक शोध प्रकाशित किया था, जिसमें सुझाव दिया गया था कि आंतरिक कोर कहीं अधिक तेजी से हिलता है और हर छह साल में दिशा बदलता है। उनका काम 1960 के दशक के अंत और 1970 के दशक की शुरूआत में दो परमाणु विस्फोटों से उत्पन्न भूकम्पीय तरंगों पर आधारित था। वह समय सीमा उस बिंदू के आसपास है जब 23 जनवरी के शोध में कहा गया है कि आंतरिक कोर ने आखिरी बार दिशा बदल दी- जिसे विडाले ने एक प्रकार का संयोग बताया।

Another theory एक अन्य सिद्धांत-जिसके बारे में विडाले ने कहा कि इसका समर्थन करने वाले कुछ अच्छे सबूत हैं- यह है कि आंतरिक कोर केवल 2001 से 2013 के बीच महत्वपूर्ण रूप से स्थानांतरित हुआ और तब से बना हुआ है।

PunjabKesari Earth core Rotation

Disagreements between scientists regarding research वैज्ञानिकों के बीच शोध को लेकर मतभेद
ऑस्ट्रेलियन नैशनल यूनिवर्सिटी के एक भूभौतिकीविद् रवैये कालचीच ने एक शोध प्रकाशित किया है, जिसमें सुझाव दिया गया है कि नवीनतम अध्ययन में प्रस्तावित 70 की बजाय आंतरिक कोर का चक्र हर 20 से 30 साल का होता है। कालचिच ने कहा, ‘‘इन गणितीय मॉडल्स की सबसे अधिक संभावना गलत होने की है क्योंकि वे देखे गए डाटा की व्याख्या करते हैं लेकिन डाटा द्वारा आवश्यक नहीं हैं।’’

वह कहते हैं, ‘‘इसलिए भूभौतिकीय समुदाय इस खोज के बारे में विभाजित होगा और विषय विवादास्पद रहेगा।’’

PunjabKesari kundli

 

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!