Ek Dant Katha: इस प्रकार गणेश जी का नाम पड़ा एकदंत पढ़ें, इसके पीछे की पौराणिक कथा

Edited By Prachi Sharma,Updated: 10 Nov, 2024 06:00 AM

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गणेश जी जिन्हें विघ्नहर्ता के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म में बुद्धि, समृद्धि और बाधाओं के निवारक के रूप में पूजनीय हैं। वहीं ह्मवैवर्त पुराण के अनुसार भगवान विष्णु के अवतार परशुराम भगवान शिव के शिष्य थे।

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Ekdant Ganesh Story: गणेश जी जिन्हें विघ्नहर्ता के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म में बुद्धि, समृद्धि और बाधाओं के निवारक के रूप में पूजनीय हैं। वहीं ह्मवैवर्त पुराण के अनुसार भगवान विष्णु के अवतार परशुराम भगवान शिव के शिष्य थे। जिस फरसे से उन्होंने 17 बार धरती से आततायियों को समाप्त किया, वह शिव जी ने ही उन्हें प्रदान किया था। जब वह शिव जी और पार्वती माता के दर्शन के लिए कैलाश पर्वत पर गए, तब शिव जी शयन कर रहे थे और पहरे पर स्वयं गणेश जी थे। उन्होंने परशुराम को रोक लिया, जिनको क्रोध बहुत जल्दी आता था। वह रोके जाने पर गणेश जी से झगड़ने लगे।

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गणेश जी ने अपने माता-पिता की अनुमति लेकर दरवाजे पर पहरेदारी का कार्य किया। जब भगवान परशुराम कैलाश पर्वत पर पहुंचे, तो उन्होंने गणेश से कहा कि उन्हें भगवान शिव से मिलना है। गणेश ने उन्हें बताया कि उनकी मां पार्वती और पिता शिव अंदर हैं इसलिए वह किसी को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं दे सकते। परशुराम ने गणेश से कहा कि उन्हें भगवान शिव से मिलने दिया जाए। गणेश जी ने कहा कि वे अपने कर्तव्यों का पालन करेंगे और किसी को अंदर जाने की अनुमति नहीं देंगे। भगवान परशुराम का गर्व भंग हुआ और उन्होंने गणेश को अपनी शक्ति दिखाने का निर्णय लिया। दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया और परशुराम ने गणेश जी को चुनौती दी।

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झगड़ा इतना बढ़ गया कि परशुराम ने गणेश जी को धक्का दे दिया। गिरते ही गणेश जी को क्रोध आ गया। परशुराम ब्राह्मण थे सो गणेश उन पर प्रहार नहीं करना चाहते थे। उन्होंने परशुराम को अपनी सूंड से पकड़ लिया और चारों दिशाओं में गोल-गोल घुमाते हुए अपने दिव्य रूप के दर्शन भी करवा दिए। कुछ पल घुमाने के बाद गणेश जी ने उन्हें छोड़ दिया। परशुराम को अपना अपमान महसूस हुआ तो उन्होंने फरसे से गणेश जी पर वार कर दिया। फरसा शिव जी का दिया हुआ था, अत: गणेश जी उसके वार को विफल नहीं जाने देना चाहते थे, जिसे उन्होंने अपने एक दांत पर झेल लिया। इस वजह से उनका एक दांत टूट गया और पूरी दुनिया उन्हें एकदन्त के नाम से जानने लगी।

इसके बाद भगवान परशुराम को अपनी गलती का एहसास हुआ और माता पार्वती और भगवान शिव के साथ-साथ गणेश जी से भी माफी मांगी। भगवान शिव के कहने पर गणेश जी ने परशुराम जी को क्षमा कर दिया।
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