Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Nov, 2022 07:28 AM
आज 4 नवंबर, शुक्रवार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की ग्यारस के दिन देव प्रबोधनी एकादशी है। यह एकादशी हर साल दिवाली के ग्यारहवें दिन आती हैं, अत: इसी दिन से सभी मांगलिक कार्यो का प्रारंभ हो जाता है। इसी
2022 Prabodhini Ekadashi: आज 4 नवंबर, शुक्रवार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की ग्यारस के दिन देव प्रबोधनी एकादशी है। यह एकादशी हर साल दिवाली के ग्यारहवें दिन आती हैं, अत: इसी दिन से सभी मांगलिक कार्यो का प्रारंभ हो जाता है। इसी रोज़ सूर्य और अन्य ग्रह अपनी स्थिती में परिवर्तन करते हैं, जिसका सीधा प्रभाव मनुष्य की इन्द्रियों पर होता है। ग्रहों के साथ संतुलन बनाने हेतु व्रत का पालन करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, आज न केवल दिन बल्कि रात भी है खास इसलिए कुछ खास काम हैं जो नहीं करने चाहिए अन्यथा कमाए गए पुण्य भी पाप में परिवर्तित हो जाते हैं। वैसे तो इस दिन व्रत रखने का विधान है लेकिन संभव न हो तो पुण्यलाभ के लिए रखें इन चीज़ों का ध्यान-
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श्री हरि को जगाने के लिए इन मंत्रों का उच्चारण करें-
उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये। त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदम्॥
उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव। गतामेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मलादिशः॥
शारदानि च पुष्पाणि गृहाण मम केशव।
संभव न हो तो 'उठो देवा,बैठो देवा' कहकर श्री हरि को जगाएं। फिर इनका षोडशोपचार विधि से पूजन करें।
जुआ खेलने वाले का घर-परिवार कभी बस नहीं सकता। वैसे तो इसे कभी खेलना नहीं चाहिए लेकिन एकादशी तिथि पर स्वयं पर नियंत्रण रखें और यह खेल न खेलें।
एकादशी की रात जागरण करके हरी नाम संकीर्तन करना चाहिए।
पान नहीं खाना चाहिए, इससे रजोगुण में बढ़ौतरी होती है। किसी को भेंट भी न करें।
दातुन, मंजन, टूथ पेस्ट का प्रयोग न करें।
चोरी करने से इस लोक में ही नहीं परलोक में भी दुख भोगना पड़ता है। इस बुरी आदत से एकादशी वाले दिन ही नहीं बल्कि सदा दूर रहें।
हिंसा से दूर रहें, मन में बुरे भाव आते हैं।
संभोग न करें। ब्रह्मचार्य का पालन करें।
झूठ नहीं बोलना चाहिए।
किसी के गुण-दोष की व्याख्या अथवा तिरस्कार न करें।
काम भाव से दूर रहें।
लहसुन-प्याज का सेवन न करें।
मन में द्वेष न आने दें।
मांस-मदिरा से दूर रहें।