Edited By Niyati Bhandari,Updated: 19 Sep, 2024 06:30 AM
त्रेता युग की बात है। प्रसिद्ध गया तीर्थ पर भगवान राम अपने पिता राजा दशरथ का पिंडदान करने आए थे। जब राम-लक्ष्मण पिंड सामग्री लाने गए तो विलंब होने पर महाराज दशरथ ने
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Falgu River Story: त्रेता युग की बात है। प्रसिद्ध गया तीर्थ पर भगवान राम अपने पिता राजा दशरथ का पिंडदान करने आए थे। जब राम-लक्ष्मण पिंड सामग्री लाने गए तो विलंब होने पर महाराज दशरथ ने छायारूप में उपस्थित हो सीता जी से शुभ मुहूर्त में पिंड की याचना और भोजन की मांग की।
History Of River Falgu: पिंड सामग्री के अभाव में दशरथ के कहने पर सीता जी ने महानदी सहित अन्य की उपस्थिति में रेत का पिंड बना कर दशरथ को दान किया था। किंवदंती है कि पिंड दान ग्रहण करने के लिए स्वयं राजा दशरथ का हाथ फल्गु नदी से बाहर निकला था। जब राम और लक्ष्मण पिंडदान संबंधी सामग्री लेकर वापस लौटे तब सीता जी ने पिंडदान करने की बात बताई लेकिन सीता द्वारा पिंडदान की बात का श्री राम को विश्वास नहीं हुआ, वह बेहद चिंतित एवं नाराज हुए।
Goddess Sita cursed Falgu river: सीता जी ने गवाही देने के लिए फल्गु नदी, बरगद के पेड़, अग्रि, गाय, तुलसी और गया ब्राह्मण से सच बोलने को कहा। तब फल्गु ने खुद को गंगा जैसी पापहारिणी नदी बनने के लोभ में झूठी गवाही दी, जिससे नाराज होकर सीता जी ने फल्गु को श्राप दिया था कि वह गया नगर में अपना पानी खो देगी। सीता जी के श्राप का असर आज भी देखने को मिलता है।
Falgu River Story: फल्गु नदी रेत के नीचे बहती है इसीलिए फल्गु को अंत: सलिला अर्थात सतह से नीचे बहने वाली नदी कह जाता है। फल्गु नदी छोटा नागपुर पठार के उत्तरी भाग से निकलती है। माना जाता है कि आज से 19 करोड़ वर्ष पूर्व के आसपास जलवायु में अत्यधिक बदलाव के कारण ऊंची भूमि की बर्फ ने पिघल कर जल प्रवाह के रूप में नदियों का स्वरूप धारण कर लिया। निर्माण की दृष्टि से पहले उच्च भूमि के रूप में ‘गया’ की पृष्ठभूमि निर्मित हुई, जहां फल्गु का वास है।
वायु पुराण के अनुसार फल्गु नदी सदेही विष्णु गंगा है। फल्गु नदी शाप और वरदान के दोआब से नि:सृत है। यह सीता जी द्वारा शापित है। सीता जी के शापवश महानदी व्यर्थ, बेकार और सार शून्य फल्गु हो गई है, मगर संयोगवश महानदी वरदान स्वरूप माता सीता जी ने इसके रेत का पिंड देकर इसे अमर, बहुव्याप्त और अपरम्पार रहस्यमयी भी बना दिया।
वर्तमान में भी इसके रेत से बने पिंडदान का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। यह भी मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने गया में यज्ञ की पूर्णता के बाद ऋत्विग हेतु आए ब्राह्मणों को दक्षिणा में फल्गु नदी दी थी, जिसमें स्नान करने से 21 पीढ़ी के पितर तृप्त और मुक्त हो ब्रह्मलोक को प्राप्त करते हैं। इसकी चर्चा महाभारत में भी की गई है। स्कंदपुराण में महानद फल्गु को गया यत्र महापुराण फल्गुश्चेव महानदी कहा गया है।