Edited By Prachi Sharma,Updated: 19 Feb, 2025 08:47 AM

फाल्गुन माह की अमावस्या हिंदू कैलेंडर का एक महत्वपूर्ण दिन होता है, जो विशेष रूप से पुण्य, स्नान, दान और पूजा के लिए आदर्श माना जाता है। इस दिन श्री हरि की पूजा करने से सुखी जीवन का आशीर्वाद मिलता है।
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Falgun Amavasya 2025 Date: फाल्गुन माह की अमावस्या हिंदू कैलेंडर का एक महत्वपूर्ण दिन होता है, जो विशेष रूप से पुण्य, स्नान, दान और पूजा के लिए आदर्श माना जाता है। इस दिन श्री हरि की पूजा करने से सुखी जीवन का आशीर्वाद मिलता है। इसके अलावा अमावस्या के दिन सच्चे मन से यदि कोई व्यक्ति अपने पितरों कर तरपान कर उन्हें याद करता है तो उनके जीवन से समस्त दुःख समाप्त हो जाते हैं। वर्ष 2025 की फाल्गुन अमवस्या पर बहुत ही शुभ योग बनने जा रहे हैं। यदि इस दौरान कोई व्यक्ति स्नान-दान करेगा तो उसे दोगुना फल प्राप्त होगा।
Falgun Amavasya Date and Shubh Muhurat फाल्गुन अमावस्या डेट और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरुआत 27 फरवरी को सुबह 8 बजकर 54 मिनट से होगी और अगले 28 फरवरी को सुबह 6 बजकर 14 मिनट पर तिथि पर इसका समापन होगा। उदया तिथि की अनुसार फाल्गुन अमावस्या का पर्व 27 फरवरी को मनाया जाएगा।
2 शुभ योग में फाल्गुन अमावस्या 2025
इस बार की फाल्गुन अमावस्या पर बेहद ही खास होने वाली क्योंकि इस दिन दो शुभ योग बन रहे है। पहला शिव योग और दूसरा सिद्ध योग।
शिव योग- प्रात:काल से लेकर रात 11 बजकर 41 मिनट तक।
धनिष्ठा नक्षत्र- प्रात:काल से लेकर दोपहर 3 बजकर 43 मिनट तक।

फाल्गुन अमावस्या स्नान-दान मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- 5 बजकर 8 मिनट से 5 बजकर 58 मिनट तक।
इस मुहूर्त में स्नान करना बहुत शुभ होता है।
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर में 12 बजकर 11 मिनट से 12 बजकर 57 मिनट तक।

स्नान-दान और पूजा का महत्व:
फाल्गुन माह की अमावस्या को गंगा स्नान, पवित्र नदियों में स्नान या तर्पण करना अत्यधिक पुण्यकारी माना जाता है। इस दिन पवित्र जल में स्नान करने से मन और शरीर को शांति मिलती है और साथ ही पुण्य की प्राप्ति होती है। खासतौर पर गंगा, यमुनाजी, या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करने से व्यक्ति को मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। स्नान के बाद इस दिन विशेष रूप से दान करना अत्यधिक लाभकारी होता है। दान से जीवन में खुशहाली आती है और व्यक्ति का भाग्य प्रबल होता है। इस दिन पुत्र, कन्या, ब्राह्मणों, गरीबों और जरूरतमंदों को वस्त्र, अन्न का दान करना चाहिए। इसके अलावा, इस दिन विशेष रूप से पितरों के लिए तर्पण करने की परंपरा भी है।