Edited By Niyati Bhandari,Updated: 10 Aug, 2023 09:43 AM
कलपुर्जों की नगरी के रूप में विश्व भर में विख्यात फरीदाबाद ऐतिहासिक स्मारकों व मंदिरों की नगरी है। इस शहर का इतिहास काफी पुराना है।
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Faridabad Historical Story: कलपुर्जों की नगरी के रूप में विश्व भर में विख्यात फरीदाबाद ऐतिहासिक स्मारकों व मंदिरों की नगरी है। इस शहर का इतिहास काफी पुराना है। फरीदाबाद को बाबा फरीद की नगरी भी कहा जाता है। ओल्ड फरीदाबाद में बाबा फरीद स्मारक स्थित है, जिसका ऐतिहासिक महत्व है। इस नगरी का संबंध बाबा फरीद से भी जोड़ा जाता रहा है।
बाबा फरीद स्मारक में संगमरमर से बने दो विशाल द्वार हैं। पूर्वी वाले दरवाजे को प्रकाश द्वार और उत्तरी दरवाजे को स्वर्ग का द्वार कहा जाता है। इस स्मारक में महिलाओं के प्रवेश की मनाही है। माना जाता है कि फरीदाबाद की स्थापना सन 1607 ई. में जहांगीर के खजांची फरीद ने की थी। उनका मकसद यहां से गुजरने वाले राजमार्ग की रक्षा करना था। यह दिल्ली से 25 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। फरीद ने यहां एक किला, एक तालाब आदि का निर्माण करवाया। इसके बाद में यह बल्लभगढ़ के शासक के पास उनकी जागीर के तौर पर रहा।
October 17 1949 is considered as the foundation day 17 अक्टूबर 1949 को माना जाता है स्थापना दिवस
यहां के शासकों ने सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इससे अंग्रेजों ने फरीदाबाद को अपने अधिकार में ले लिया था। सन् 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के समय फरीदाबाद अविकसित क्षेत्र था। देश के विभाजन के बाद पश्चिमी पंजाब व उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रांत से विस्थापित परिवार फरीदाबाद में आकर बसे। तब से 17 अक्टूबर, 1949 को फरीदाबाद का स्थापना दिवस माना जाता है। इन लोगों ने इस नगर में व्यापक स्तर पर उद्योग-धंधे स्थापित कर इसे औद्योगिक नगरी का गौरव प्रदान किया।
Surajkund Fair सूरजकुंड मेला
सूरजकुंड शिल्प मेले का आयोजन पहली बार वर्ष 1987 में भारत के हस्तशिल्प, हथकरघा और सांस्कृतिक विरासत की समृद्धि एवं विविधता को प्रदर्शित करने के लिए किया गया था। सूरजकुंड का नाम यहां 10वीं सदी में तोमर वंश के राजा सूरज पाल द्वारा बनवाई गई एक प्राचीन रंगभूमि सूर्यकुंड से पड़ा। इस जलाशय का अर्थ है सूर्य की झील।
सूरज पाल ने झील का निर्माण किया था जो भगवान सूर्य के प्रबल भक्त थे और इसलिए एक बगीचा और एक पूल बनाने के अलावा इसके पश्चिमी तट पर एक सूर्य मंदिर (अब खंडहर) का भी निर्माण करवाया था। शांत अरावली के साथ इस मानव निर्मित जलाशय में एक अर्ध-गोलाकार तटबंध है। जहां विश्व प्रसिद्ध सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला का स्थान भी है, जो फरवरी महीने में 15 दिनों के लिए आयोजित किया जाता है।
Nahar Singh Palace नाहर सिंह पैलेस
अपनी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध राजा नाहर सिंह पैलेस 18वीं सदी का प्राचीन महल है। इसे जाट नाहर सिंह के उत्तराधिकारियों द्वारा स्थापित किया गया था। इस सुन्दर महल का निर्माण कार्य 1850 में पूरा हुआ था। इसे बल्लभगढ़ किला महल के नाम से भी जाना जाता है और दक्षिण दिल्ली से 15 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। राजा नाहर सिंह ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। महल के मंडप और आंगन सुन्दर हैं। झुकी हुई मेहराबें और सुन्दर रूप से सजे कमरे इतिहास के पन्नों में वापस ले जाते हैं। अब यह एक विरासत संपत्ति है। इस महल के चारों ओर कई शहरी केन्द्र हैं। यह राजसी महल भारी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है।
Sudden beautiful lake after 1990 1990 के बाद अचानक बन गई सुंदर झील
डेथ वैली के नाम से मशहूर यह झील 7 खदानों का एक संग्रह है। 1990 तक अरावली में खनन का कार्य चला। वर्ष 1991 में खनन पर सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया, जिसके बाद फरीदाबाद-गुरुग्राम रोड के किनारे आधा दर्जन से अधिक खदानें भू-जल को छू गई और यहां प्राकृतिक रूप से नीले रंग का साफ पानी निकल आया। फिर यह जगह झील बन गई।
Where is the memorial of Baba Farid कहां है बाबा फरीद का स्मारक
बाबा फरीद का स्मारक ओल्ड फरीदाबाद में स्थित है। ओल्ड फरीदाबाद पहुंचना बेहद आसान है। बाबा फरीद के स्मारक की कनेक्टिविटी काफी आसान है। अगर आप दिल्ली की तरफ से आ रहे हैं तो मेट्रो के माध्यम से ओल्ड फरीदाबाद रेलवे स्टेशन पर उतर कर किसी भी वाहन से वहां तक पहुंच सकते हैं। अगर आप पलवल की तरफ से आ रहे हैं तो अपने निजी वाहन या किसी अन्य वाहन की सहायता से ओल्ड फरीदाबाद स्थित बाबा फरीद के स्मारक तक आसानी से पहुंच सकते हैं।