Edited By Niyati Bhandari,Updated: 18 Jun, 2019 02:03 PM
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आज यानी मंगलवार, 18 जून से आषाढ़ मास शुरू हो गया है। वर्षा ऋतु का आरंभ भी इसी महीने से होता है। ये मास 18 जून से शुरू होकर 17 जुलाई तक चलेगा। तो आइये जानते हैं आषाढ़ माह के महत्व व इसके व्रत व त्यौहारों के बारे में-
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आज यानी मंगलवार, 18 जून से आषाढ़ मास शुरू हो गया है। वर्षा ऋतु का आरंभ भी इसी महीने से होता है। ये मास 18 जून से शुरू होकर 17 जुलाई तक चलेगा। तो आइये जानते हैं आषाढ़ माह के महत्व व इसके व्रत व त्यौहारों के बारे में-
आने वाली 29 जून को आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी पड़ रही है जिसे योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है यह तिथि बहुत ही शुभ होती है। उसके बाद 2 जुलाई को अमावस्या आएगी, आषाढ़ मास में पड़ने वाली इस अमावस्या को बहुत मंगलमय माना जाता है। विशेष कर स्नान, दान-पुण्य, पितृ कर्म आदि के लिये तो बहुत ही पुण्य फलदायी है ये दिन। यह दिन कालसर्प दोष एवं शनि संबंधी दोषों के निवारण के लिए बहुत ही अहम माना जाता है।
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आषाढ़ अमावस्या के ठीक 1 दिन बाद यानि 3 जुलाई से गुप्त नवरात्रि शुरू होंगी। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि साल में 4 नवरात्रि पड़ती हैं। जिनमें से दो गुप्त नवरात्रि होते हैं। एक माघ महीने में पड़ते हैं तो दूसरे गुप्त नवरात्रि आषाढ़ मास में पड़ते हैं। इसके अगले ही दिन यानि 4 जुलाई को जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाती है। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया से भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकाली जाती है। इसमें भगवान श्री कृष्ण, माता सुभद्रा व बलराम का पुष्य नक्षत्र में रथोत्सव निकाला जाता है।
इस त्योहार के बाद 12 जुलाई को देवशयनी एकादशी पड़ेगी और इस दिन के बाद से ही सभी मांगलिक कार्यक्रमों पर विराम लग जाता है। दरअसल भगवान विष्णु इस दिन से 4 महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं और देवउठनी एकादशी को ही जागते हैं।आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी देवशयनी एकादशी कही जाती है। इसके कुछ दिन बाद यानि 16 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन को गुरु पूर्णिमा, व्यास पूर्णिमा आदि के रूप में भी मनाया जाता है।
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