Feroz Shah Kotla Fort: खंभे को छूने से मुरादें पूरी करता है जिन्न, किले से जुड़ी हैं हैरतअंगेज बातें

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 09 Oct, 2023 10:14 AM

feroz shah kotla fort

दिल्ली में स्थित 14वीं सदी में बने फिरोजशाह कोटला किले में जिन्न रहते हैं, इस तरह का यकीन बहुत सारे लोगों को है। गुरुवार के दिन यहां लोग जुटते हैं और

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Feroz shah kotla fort history: दिल्ली में स्थित 14वीं सदी में बने फिरोजशाह कोटला किले में जिन्न रहते हैं, इस तरह का यकीन बहुत सारे लोगों को है। गुरुवार के दिन यहां लोग जुटते हैं और अपनी अर्जी लगाते हैं। उनको यकीन है कि उनकी अर्जी में लिखी तकलीफों को जिन्न दूर कर देंगे।

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Such a custom started from the 1970's 1970 के दशक से शुरू हुआ ऐसा रिवाज
इतिहास के मुताबिक फिरोज शाह कोटला किले को 14वीं सदी में सुल्तान फिरोजशाह तुगलक ने बनवाया था और वर्तमान में यह एक क्रिकेट स्टेडियम व दिल्ली के रिंग रोड के बीच स्थित है। कोटला में जिन्नों को पत्र लिखने का रिवाज 1970 के दशक के अंत में शुरू हुआ, जब लड्डू शाह नामक फकीर आया और खंडहरों में रहने लगा। वह अपने अनुयायियों को बताने लगा कि जिन्नातों के रूप में कुछ ताकतें हैं, जो मुरादों को पूरा कर देती हैं। इसके बाद जो लोग ऐसी बातों पर विश्वास करते थे, वे दुआएं लेने और अपनी समस्याओं के समाधान ढूंढने यहां आने लगे।

अत्यंत गुप्त बातों को भी लोग लिखकर बताते हैं यहां मोमबत्तियां, चादरें, चावल और अन्य वस्तुएं यहां पर लोग रखते हैं। यही नहीं, लोग अपनी सबसे गुप्त बातों को भी अर्जी के माध्यम से या बोलकर यहां पर जिन्न के होने पर यकीन करते हुए और उसको सामने मानते हुए जाहिर करते हैं। यकीन यह भी कि खंभे को छूने से पूरी होती हैं मुरादें !

यह भी यकीन किया जाता है कि कोटला के जिन्नात के मुखिया, लाट वाले बाबा, जामा मस्जिद के निकट स्थित अशोक के बलुआ पत्थर वाले खंभे (मीनार-ए-जरीन) में रहते हैं। उनको लिखे गए पत्र खंभे की सुरक्षा के लिए बनाए गए जंगले पर बांध दिए जाते हैं और ऐसा माना जाता है कि खंभे को छूने से मुरादें पूरी हो जाती हैं।

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Jinn Ministry is also discussed जिन्न मंत्रालय की भी होती है चर्चा
यह भी माना जाता है कि किले के अंदर एक जिन्न मंत्रालय है। यह मंत्रालय आजकल की नौकरशाही की तरह ही कार्य करता है, जिसमें विभिन्न समस्याओं से निपटने के लिए अलग-अलग विभाग होते हैं। अपनी परेशानियां लिख कर अपनी अर्जी एक पत्र के रूप में पेश करते हैं। इस खंडहर के प्रत्येक आले में कई सारी फोटो कापियां दखाई देती हैं क्योंकि लोग सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उनके पत्र सही विभाग तक पहुंच जाएं।

कहते हैं कि इसके बाद लोगों को 7 जुमे रातों तक खंडहरों पर आना पड़ता है । यह भी कहा जाता है कि जिन्नात बीच रात में अर्जियों पर चर्चा करने के लिए दरबार लगाते हैं और तब अल्लाह उन आर्जियों को पूरा कर देते हैं, जो वाकई सच्ची लगती हैं।

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