Edited By ,Updated: 18 May, 2017 11:34 AM
महर्षि वेद व्यास ने सदियों पूर्व भविष्य में होने वाली घटनाओं का वर्णन भविष्य पुराण में कर दिया था। इस ग्रंथ में व्रत और दान से संबंधित जितना विस्तार से वर्णन मिलता है, उतना किसी
महर्षि वेद व्यास ने सदियों पूर्व भविष्य में होने वाली घटनाओं का वर्णन भविष्य पुराण में कर दिया था। इस ग्रंथ में व्रत और दान से संबंधित जितना विस्तार से वर्णन मिलता है, उतना किसी अन्य ग्रंथ में नहीं मिलता। भविष्य पुराण के अनुसार, प्रत्येक तिथि का व्यक्ति के तन और मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यहां तक की आप क्या खा रहे हैं, किस तरह का भोजन ग्रहण कर रहे हैं। आधुनिक युग में अधिकतर लोग डाइट प्लान को फोलो करते हैं ताकि तंदरूस्त रह सकें। यदि आप इस ग्रंथ में बताए अनुसार, भोजन ग्रहण करेंगे तो रोग आपसे कोसो दूर रहेंगे और दस अश्वमेघ यज्ञ के बराबर पुण्य फल प्राप्त होगा।
प्रतिपदा तिथि को दूध पीने से शरीर बलवान होता है।
द्वितिया तिथि को नमक रहित भोजन करना या कम नमक का सेवन करने से रक्त संचार सही रहता है और शरीर से विषैले तत्व बाहर जाते हैं।
तृतिया के दिन तिल से बने खाद्य पदार्थ खाने से शरीर को उचित मात्रा में कैल्शियम और प्रोटीन प्राप्त होता है।
मान्यता है की चतुर्थी तिथि को दूध का सेवन करने के ढेरों फायदे हैं।
पंचमी को फलों का सेवन करने से प्रोटीन मिलते हैं।
षष्ठी तिथि को हरी सब्जियों का सेवन करने से शारीरिक संतुलन बना रहता है।
पेट संबंधी विकार और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण के लिए सप्तमी के दिन बिल्व का सेवन लाभदायक है।
अष्टमी और नवमी के दिन कच्चे पदार्थों का सेवन करना, वजन को नियंत्रित रखता है।
देसी घी का सेवन दशमी और एकादशी के दिन जरूर करें, चेहरे पर चमक आती है और शरीर को बल मिलता है।
द्वादशी को खीर, त्रयोदशी को गौ मूत्र का सेवन जरूर करें, इससे कोढ़ और कैंसर की संभावना खत्म होती है।
इसके अतिरिक्त चतुर्दशी को सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए, पूर्णिमा को कुशा का जल ग्रहण करें और अमावस्या को खीर अथवा शीरा खाने से रोग कोसों दूर रहते हैं। व्यक्ति सेहतमंद रहता है।