Edited By Niyati Bhandari,Updated: 02 Oct, 2024 07:01 AM
एक दिन महात्मा गांधी के पास एक लड़का आया और बोला, ‘‘गांधी जी, मैं भी देश की सेवा करना चाहता हूं इसलिए
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Gandhi Jayanti 2024: एक दिन महात्मा गांधी के पास एक लड़का आया और बोला, ‘‘गांधी जी, मैं भी देश की सेवा करना चाहता हूं इसलिए मुझे भी अपने साथ काम करने का मौका दीजिए।’’
गांधी जी ने उस लड़के को देखा और बोले, ‘‘ठीक है। मैं अभी चरखा चला रहा हूं तो तुम यह सूत इक्कठा कर दो।’’
लड़के ने गांधी जी के द्वारा बताया गया काम कर दिया। इसके बाद गांधी जी ने कहा कि कुछ बर्तन रखे हुए हैं, उन्हें साफ कर दो। उस लड़के ने वह काम भी कर दिया। इसके बाद गांधी जी ने उसे आश्रम में सफाई करने का काम दे दिया।
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इस तरह गांधी जी उस लड़के से छोटे-छोटे काम कराने लगे। कुछ दिन बीत गए। उस लड़के को ये सारे काम अच्छे नहीं लग रहे थे। एक दिन उसने गांधी जी से कहा, ‘‘मैं अब यहां नहीं रुक सकता। मैं जा रहा हूं।’’
गांधी जी ने उससे पूछा कि वह वहां से क्यों जा रहा है?
लड़के ने जवाब दिया, ‘‘मैं पढ़ा-लिखा लड़का हूं, अच्छे परिवार से हूं। आप जो काम मुझसे करवा रहे हैं, ये काम मेरे लिए सही नहीं हैं।’’
गांधी जी ने उस लड़के की बात शांति से सुनी और उसे समझाते हुए कहा, ‘‘मैं तो तुम्हारी परीक्षा ले रहा था। जो लोग देश सेवा करना चाहते हैं, उनके लिए सभी काम एक समान होते हैं। सेवा करने वाले के लिए कोई भी काम छोटा-बड़ा नहीं होता है। सेवाभावी सिर्फ सेवा करता है।’’
Keep doing good to others even after your loss अपने नुकसान के बाद भी दूसरों की भलाई करते रहें
गांधी जी से जुड़ी एक अन्य प्रेरक घटना है। वह अक्सर लम्बी यात्राएं करते थे। एक बार वह रेल से यात्रा कर रहे थे। एक स्टेशन पर गाड़ी रुकी तो गांधी जी कुछ देर के लिए नीचे उतरे। गांधी जी को देखकर वहां लोगों की भीड़ लग गई। गांधी जी भीड़ से घिरे हुए थे और उनकी रेलगाड़ी चलने लगी।
भीड़ से बाहर निकलते हुए गांधी जी तेजी से अपने डिब्बे में चढ़ गए, लेकिन उनकी एक चप्पल नीचे गिर गई और रेल के नीचे पटरियों के बीच चली गई। रेल चल रही थी, गांधी जी डिब्बे के गेट पर खड़े होकर विचार करने लगे और फिर तुरंत ही उन्होंने अपनी दूसरी चप्पल भी वहीं गिरा दी।
यह देख रहे एक व्यक्ति ने गांधी जी से पूछा कि आपने दूसरी चप्पल क्यों गिरा दी ?
गांधी जी ने कहा, ‘‘मेरी एक चप्पल तो गिर चुकी है और मेरे पास एक चप्पल रह गई तो मैंने सोचा कि अब यह चप्पल मेरे किसी काम की नहीं है, इसलिए मैंने दूसरी चप्पल भी यहीं गिरा दी, ताकि अगर किसी व्यक्ति को ये दोनों चप्पलें मिलें तो उसके काम आ जाएं।’’
इस किस्से में महात्मा गांधी जी ने संदेश दिया है कि अगर किसी वजह से हमारा नुकसान हो रहा हो लेकिन उसके बाद भी हम किसी का भला कर सकते हैं तो उस काम से पीछे नहीं हटना चाहिए।