Edited By Niyati Bhandari,Updated: 10 Sep, 2021 11:28 AM
यदि भूल से भी चौथ का चन्द्रमा दिख जाय तो ‘श्रीमद् भागवत’ के 10 वें स्कंध के 56-57 वे अध्याय में दी गयी ‘स्यमन्तक मणि की चोरी’ की कथा का आदरपूर्वक पठन-श्रवण करना चाहिए।
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यदि भूल से भी चौथ का चन्द्रमा दिख जाय तो ‘श्रीमद् भागवत’ के 10 वें स्कंध के 56-57 वे अध्याय में दी गयी ‘स्यमन्तक मणि की चोरी’ की कथा का आदरपूर्वक पठन-श्रवण करना चाहिए।
स्यमन्तक मणि चोरी का प्रसंगः भगवन श्री कृष्ण द्वापर युग में द्वारका नगरी में अपना शासन चलाते थे। उनके राज्य में सत्रजीत नाम का एक साधक जिसे सूर्य की उपासना आदित्य हृदय स्त्रोत द्वारा करने पर सूर्य देव ने एक सूर्य के समान दिव्य मणी प्रदान की जो की अपने वजन का 8 भाग (8 गुणा) सोना प्रतिदिन अपने स्वामी को प्रदान करती थी। श्री कृष्ण जी के आदेश से बलराम जी व अक्रूर जी ने मणी राजकोष में जमा करवाने का आग्रह किया गया परन्तु सत्राजीत ने आग्रह को इनकार कर दिया।
एक दिन सत्राजीत के छोटे भाई प्रसेनजित जंगल में शिकार के लिए निकले व साथ में समयंतक मणी को भी चोरी के भय से साथ ही ले गये । मणी के आकर्षण के कारण एक शेर ने प्रसेनजीत को मार दिया व मणी हासिल की तथा उस शेर को जामवंत ने संहार कर दिया व मणी अपनी पुत्री जामवंती को दी तथा श्री कृष्ण ने जामवंत को हराकर समयंतक मणी प्राप्त की व जामवंत ने अपनी पुत्री जामवंती का विवाह श्री कृष्ण से करने का आग्रह किया। जिसे श्री कृष्ण ने स्वीकार कर अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया।
जब श्री कृष्ण ने सत्रजीत को उसकी मनी वापस लौटानी चाही तो सत्रजीत ने मणि लेने से इनकार कर दिया और कहा इस पर अब आप का ही अधिकार है और हमें क्षमा करें कि हम ने आप पर झूठा आरोप लगाया तो श्रीकृष्ण ने कहा यह मणी आपकी ही है। भले ही मैं इसे युद्ध में जीत के लाया हूं। यह आपको ही सूर्यदेव ने प्रदान की है और यह मणी मैं आपको वापिस लौटाकर अपना झूठा कलंक मिटाना चाहता हूं।
इस पर सत्रजीत की पत्नी ने अपने पति को सुझाव दिया कि अपनी बेटी सत्यभामा का विवाह श्री कृष्ण से कर दिया जाए। तो सत्राजीत यह आग्रह श्रीकृष्ण से करता है और श्री कृष्ण इसे सहर्ष स्वीकार कर लेते हैं तथा सत्यभामा का विवाह श्री कृष्ण से कर दिया जाता है व उपहार स्वरूप सम्यन्तक मणि भी श्री कृष्ण को दे दी जाती है।
पूरा प्रयास करें की उक्त दिन चन्द्र दर्शन न हो अगर हो जाएं तो इस वृत्तांत को सुनना व पढ़ना चाहिए।
संजय दारा सिंह
एस्ट्रोजेम वैज्ञानिक
एलएलबी, ग्रेजुएट जेमोलॉजिस्ट जीआईए (जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ऑफ अमेरिका), ज्योतिष, अंक विज्ञान और वास्तु (एसएसएम)