Edited By Prachi Sharma,Updated: 07 Sep, 2024 10:35 AM
आज 7 सितंबर 2024 दिन है शनिवार और आज है गणेश चतुर्थी। आज के दिन लोग मिट्टी के गणपति बना के घर में लाते हैं उनको घर में स्थापित करते हैं। चतुर्थी के दिन उनसे प्रार्थना की जाती
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Ganesh Chaturthi 2024: आज 7 सितंबर 2024 दिन है शनिवार और आज है गणेश चतुर्थी। आज के दिन लोग मिट्टी के गणपति बना के घर में लाते हैं उनको घर में स्थापित करते हैं। चतुर्थी के दिन उनसे प्रार्थना की जाती है कि हमारे घर से विघ्न बाधाओं को हटा के जीवन में खुशहाली लेके आएं। बहुत सारे लोगों के मन में एक सवाल आता है कि यह क्यों किया जाता है ? इसके पीछे क्या महत्व है ?
जो भी इंसान डिप्रेशन में होता है, एंजाइटी में होता है या जिसके जीवन में किन्हीं कारणों से उत्साह की कमी होती है तो उनको कहा जाता है गणपति जी की आराधना करिए। गणपति मंत्र का जप करिए ताकि आपके जीवन में उत्साह आए गणपति जी की ऊर्जा जहां पर स्थापित होती है सबसे पहले वहां से शोक नाश दूर हो जाता है। गणपति जी की ऊर्जा अमंगल का नाश करती है यानी जब जीवन में कोई मंगल कार्य नहीं हो रहा है, आपकी कोशिशें लगातार व्यर्थ जा रही हैं तब गणपति जी की ऊर्जा है आपकी बाजू पकड़ के आपको किसी भी दिक्कत से बाहर लेकर आती है। गणपति जी को विघ्नहर्ता बोला जाता है तो आपके घर में जब गणपति जी स्थापित होंगे तो आपके घर से इन सारी नेगेटिव चीजों का नाश करेंगे।
गणपति जी को स्थापित करने के लिए मुहूर्त का होना बेहद ही आवश्यक है। बप्पा आठों दिशाओं के मुख्य स्वामी हैं। गणपति जी की आज्ञा के बिना किसी भी अनुष्ठान में देवता नहीं आ सकते। तभी तो गणपति जी को सबसे पहले पूजा जाता है और जिस भी समय में गणपति जी की पूजा शुरू हो वो समय शुभ हो जाता है। इसलिए गणेश चतुर्थी वाले दिन आप किसी भी समय में स्थापित कर सकते हैं।
आज सबसे पहले किसी शुभ स्थान पर बप्पा की मूर्ति को स्थापित करिए।
वहां पर सबसे पहले आप रोली का छींटा दीजिए और दो साबुत चावल अर्पित करें।
एक बात का ध्यान रखें कि उनको सूखे फूल न चढ़ाएं। गणपति जी को तुलसी कभी नहीं चढ़ानी है।
गणपति जी से प्रार्थना करिए कि प्रभु हमारे घर में रिद्धि और सिद्धि के साथ वास करें। गणपति जी की पत्नियां रिद्धि- सिद्धि जीवन में दक्षता लेकर आती हैं। सिद्धि आपके जीवन में शुभता भी लेकर आती हैं। रिद्धि- सिद्धि में लक्ष्मी का वास बोला गया है। गणपति जी के साथ जो महालक्ष्मी की कृपा भी अपने आप आती है। आज के दिन दो बार गणपति जी की आरती करें। जो घर में भोग बनेगा वो गणपति जी को लगवा के फिर खाइए और गणपति जी को कभी भी अकेले मत छोड़िए। वो आपके घर में मेहमान आए हुए हैं। उनको लगातार अटेंड करना है यानी आपने उस समय पर जमीन पर सोना है। गणपति जी के समक्ष रहिए, वहां पर हो सके अखंड जोत चलती रहनी चाहिए।
गणपति जी की पूजा के बाद चतुर्दशी से पहले गणपति जी को कभी भी विसर्जित करके आइए। विसर्जन जो है यह जीवन-मृत्यु के चक्र को बताता है कि जो चीज आई है दोबारा ईश्वर में विलीन हो जाएगी। यह नारायण का रूप माने गए हैं और जब गणपति जी जल में विलीन होते हैं तो कहते हैं कि ये नारायण के साथ एक हो गए, नारायण के साथ विलीन हो गए। पुनर्जन्म लेने के लिए यह जीवन के साइकिल को भी चीज शो करती है। घर के अंदर देवताओं को स्थापित करना यह वर्जित होता है लगातार के लिए। जो देवता स्थापित हुए है उनकी ऊर्जा एक बहुत प्रचंड ऊर्जा होती है, जो एक बार स्थापित होने में आपके की नेगेटिविटी को हर लेती है लेकिन हमेशा अगर वो ऊर्जा स्थापित रहेगी तो उनकी मर्यादा का पालन नहीं हो पाएगा, न सेवा हो पाएगी। गणपति जी को उन दिनों के लिए जिन दिनों में गणेश चतुर्थी से चतुर्दशी के बीच का समय है यह बड़ा शुभ समय होता है, आपके घर की नेगेटिविटी दूर करने के लिए गणपति जी की आशीर्वाद लेने के बाद उनको सम्मान सहित जल प्रवाह करिए। और प्रार्थना करिए कि अगले साल फिर से आइए और हमारे जीवन की विघ्न बाधाओं को हरिए।