Edited By Niyati Bhandari,Updated: 07 Sep, 2024 01:30 PM
गणेशोत्सव अर्थात गणेश चतुर्थी के दिन प्रात:काल स्नानादि से निवृत्त हो कर गणेश जी की प्रतिमा को कोरे कलश में जल भर कर तथा उसके मुंह पर कोरा कपड़ा बांध कर
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Ganesh Chaturthi: गणेशोत्सव अर्थात गणेश चतुर्थी के दिन प्रात:काल स्नानादि से निवृत्त हो कर गणेश जी की प्रतिमा को कोरे कलश में जल भर कर तथा उसके मुंह पर कोरा कपड़ा बांध कर उस पर या फिर चौकी पर स्थापित किया जाता है। फिर गणेश जी की मूर्त पर सिंदूर चढ़ा कर उनका विशेष विधि से पूजन कर हर मनोकामना को पूर्ण कर घर में शांति एवं मंगल का वरदान मांगा जाता है।
पूजा में भगवान गणेश को दक्षिणा अर्पित कर 21 लड्डुओं का भोग लगाने का भी विधान है, इनमें से 5 लड्डू गणेश प्रतिमा के पास रखकर शेष ब्राह्मणों में बांट देने चाहिएं। किसी भी कार्य को आरंभ करने से पहले भगवान गणेश की आरती और पूजा अवश्य की जाती है अन्यथा आपकी पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि वह ऐसे देव हैं जो बहुत जल्दी आपकी आराधना से प्रसन्न हो जाते हैं।
गणपति स्थापना को सायं काल के पूजन के पश्चात अपनी दृष्टि नीची रखते हुए ही चंद्रमा को अर्ध्य दें क्योंकि गणेश जयंती के दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिएं।
गणेश चतुर्थी के दिन सिद्धि विनायक व्रत रखा जाता है। इसे कलंक चौथ या पत्थर चौथ भी कहा जाता है। विशेष ध्यान रखें कि आज के दिन चांद न देखें। मान्यता है कि चंद्र दर्शन से मिथ्या आरोप लगने या किसी कलंक का सामना करना पड़ता है। दृष्टि धरती की ओर करके चंद्रमा की कल्पना मात्र करके अर्घ्य देना चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार भगवान कृष्ण ने भूलवश इसी दिन चांद देख लिया था और फलस्वरूप उन पर हत्या व स्मयन्तक मणि, जो आज कल कोहिनूर हीरा कहलाता है और इंग्लैंड में है को चुराने का आरोप लगा था। इसके अलावा आप हाथ में फल या दही लेकर भी दर्शन कर सकते हैं।