गणेश जी ने बल से नहीं बल्कि बुद्धि से पाया था ये खास मुकाम, पढ़ें कथा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 16 Dec, 2024 08:26 AM

ganesh ji pratham pujya kaise bane story hindi

वैसे तो समस्त देवतागण पूजनीय होते हैं परन्तु एक बार की बात है कि देवताओं में परस्पर विवाद हो गया कि उन सभी में सर्वश्रेष्ठ पूज्य कौन है? जब कोई निष्कर्ष नहीं निकला तो सभी देवता एक स्थान पर एकत्रित होकर पितामह ब्रह्मा जी के पास पहुंचे।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Ganesh Ji Pratham Pujya Kaise Bane Story: वैसे तो समस्त देवतागण पूजनीय होते हैं परन्तु एक बार की बात है कि देवताओं में परस्पर विवाद हो गया कि उन सभी में सर्वश्रेष्ठ पूज्य कौन है? जब कोई निष्कर्ष नहीं निकला तो सभी देवता एक स्थान पर एकत्रित होकर पितामह ब्रह्मा जी के पास पहुंचे। 

PunjabKesari Ganesh Ji Pratham Pujya Kaise Bane Story

ब्रह्मा जी अपने कार्य में पूर्णतया व्यस्त थे। उन्हें सृष्टि निर्माण से फुर्सत ही नहीं थी। पंचायत के लिए समय निकालना बहुत कठिन था। अपना कार्य करते-करते ही उन्होंने देवताओं की मन से पूरी बात सुन ली और यह निर्णय सुना दिया- जो पृथ्वी की प्रदक्षिणा करके सबसे पहले मेरे पास आ जाएगा, वही सर्वश्रेष्ठ एवं प्रथम पूज्य माना जाएगा।

अब क्या था? देवराज इंद्र अपने ऐरावत हाथी पर चढ़कर दौड़े। अग्निदेव ने अपने प्रिय भेड़े को भगाया। धन कुबेर जी ने अपनी सवारी ढोने वालों को तेज दौडऩे की आज्ञा दी। वरुणदेव का वाहन था मगर, अतएव उन्होंने समुद्री मार्ग पकड़ा। सभी देवतागण अपने-अपने वाहनों को दौड़ाते हुए चल दिए। 

सबसे पीछे रह गए गणेश जी। एक तो उनका भारी भरकम शरीर और दूसरे, छोटा वाहन मूषक। उन्हें लेकर बेचारा चूहा कितनी देर तक दौड़ता? गणेश जी के मन में प्रथम पूज्य बनने की बड़ी उत्कंठा थी। अत:अपने को सबसे पीछे देख वह उदास हो गए।
संयोग की बात, उसी समय सदैव पर्यटन में रहने वाले देवर्षि नारद जी अपने खड़ाऊ खटकाते, वीणा बजाते, भगवद्-गुण गाते उधर से निकले। गणेश जी को उदास देखकर नारद जी को दया आ गई। उन्होंने पूछा, ‘‘हे पार्वतीनन्दन! आज आपका मुखमण्डल उदास क्यों है?’’

गौरीनन्दन गणेश जी ने उन्हें अपनी पूरा समस्या बता दी। देवर्षि नारद जी हंस दिए और बोले, ‘‘आप तो जानते ही हैं कि माता साक्षात् पृथ्वी होती हैं और पिता परमात्मा स्वरूप होते हैं। इसमें भी आपके पिता उन परमतत्व के ही भीतर तो अनन्त-अनन्त स्थित हैं।’’

PunjabKesari Ganesh Ji Pratham Pujya Kaise Bane Story

गणेश जी को अब और कुछ सुनना-समझना नहीं था। वह सीधे कैलाश पर्वत पहुंचे और अम्बा पार्वती की अंगुली पकड़कर छोटे शिशु की भांति अपनी ओर खींचने लगे। कहने लगे, ‘‘अम्बा! पिताजी तो समाधि में तल्लीन हैं, पता नहीं उन्हें उठने में कितने युग बीतेंगे, आप ही चलकर उनके वाम पाश्र्व में कुछ क्षण के लिए बैठ चलो न माता। चलिए, कृपया उठिए।’’ 

पार्वती जी हंसती हुई जाकर अपने ध्यानस्थ पतिदेव के निकट बैठ गईं। 

गणेश जी ने भूमि में लेटकर माता-पिता को प्रणाम किया फिर उनकी सात बार प्रदक्षिणा की। माता-पिता की प्रदक्षिणा करके पुन: साष्टांग प्रणाम किया और माता कुछ पूछें, इसके पूर्व उनका मूषक गणेश जी को लेकर ब्रह्मलोक को चल दिया। 

ब्रह्मा जी ने एक बार उनकी ओर देख लिया और अपने नेत्रों से ही जैसे स्वीकृति दे दी? बेचारे देवतागण अपने वाहनों को दौड़ाते पूरे वेग से पृथ्वी की प्रदक्षिणा पूर्ण करके एक के बाद एक ब्रह्मलोक पहुंचे। 

सब देवतागण एकत्र हो गए तो ब्रह्मा जी ने निर्णय दिया, श्रेष्ठता केवल शरीर बल को नहीं दी जा सकती है, गणेश जी अपने को अग्रेसर सिद्ध कर चुके हैं। देवताओं ने पूरी बात सुन ली और चुपचाप गणेश जी के सम्मुख सभी ने मस्तक झुका दिया। 

देवगुरु बृहस्पति ने उसी समय कहा, ‘‘ सामान्य माता-पिता का सेवक और उनमें श्रद्धा रखने वाला भी पृथ्वी प्रदक्षिणा करने वाले से श्रेष्ठ है। फिर गणेश जी ने जिनकी प्रदक्षिणा की है, वे तो विश्वमूर्ति हैं, इसे कोई अस्वीकार कैसे करेगा?’’

PunjabKesari Ganesh Ji Pratham Pujya Kaise Bane Story

Related Story

    Trending Topics

    Afghanistan

    134/10

    20.0

    India

    181/8

    20.0

    India win by 47 runs

    RR 6.70
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!