Edited By Niyati Bhandari,Updated: 18 Nov, 2024 11:06 AM
Ganesh puja vidhi at home: वास्तु के अनुसार, गणेश पूजा को पूर्व या उत्तर दिशा में करना सबसे शुभ होता है। पूजा स्थल को स्वच्छ रखें और गणेश प्रतिमा को आदरपूर्वक रखें।
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Ganesh puja vidhi at home: वास्तु के अनुसार, गणेश पूजा को पूर्व या उत्तर दिशा में करना सबसे शुभ होता है। पूजा स्थल को स्वच्छ रखें और गणेश प्रतिमा को आदरपूर्वक रखें। नियमित रूप से पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और समस्त बाधाओं से मुक्ति मिलती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, गणेश पूजा करने से पहले यह जानना जरूरी है कि पूजा का स्थान और विधि दोनों का घर के वास्तु से संबंध होता है। सही दिशा में पूजा करने से न केवल भगवान गणेश का आशीर्वाद मिलता है, बल्कि घर में समृद्धि, सुख और शांति का वास होता है। यहां कुछ महत्वपूर्ण बातें दी जा रही हैं, जो वास्तु शास्त्र के अनुसार गणेश पूजा में ध्यान में रखनी चाहिए:
पूजा स्थल और स्थान:
पूर्व दिशा (East): गणेश पूजा के लिए सबसे उपयुक्त दिशा पूर्व दिशा मानी जाती है। यह दिशा सूर्योदय की दिशा होती है और सूरज की सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत होती है। यदि आप गणेश प्रतिमा को पूर्व दिशा में या पूर्व-उत्तर (ईशान कोण) में रखते हैं, तो पूजा का अधिक प्रभावी परिणाम मिलेगा।
उत्तर दिशा (North): उत्तर दिशा भी गणेश पूजा के लिए एक अच्छी दिशा मानी जाती है। यह दिशा धन, समृद्धि और सफलता की दिशा है। गणेश जी के आशीर्वाद से घर में समृद्धि और शांति आती है।
दक्षिण दिशा (South) से बचें: दक्षिण दिशा में पूजा करना वास्तु के अनुसार नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इस दिशा में पूजा करने से घर में वाद-विवाद और तनाव बढ़ सकता है।
गणेश पूजा के लिए साफ-सुथरा और शांत स्थान चुनें: गणेश पूजा का स्थान स्वच्छ और शांत होना चाहिए। पूजा स्थल पर कोई अव्यवस्था या गंदगी नहीं होनी चाहिए क्योंकि इससे पूजा का सही परिणाम नहीं मिलता।
गणेश प्रतिमा की स्थिति: गणेश की मूर्ति या चित्र को सामने की दिशा में रखें, ताकि पूजा करते समय आपकी नजर सीधे गणेश जी पर पड़े। गणेश प्रतिमा का आकार उचित होना चाहिए। बहुत बड़ी मूर्ति घर के वास्तु के लिए उचित नहीं होती।
गणेश पूजा विधि: सर्वप्रथम – पूजा स्थल को स्वच्छ करें और वहां दीपक या मोमबत्ती जलाएं।
गणेश प्रतिमा का चयन – पूजा में लक्ष्मी गणेश की मूर्ति का चयन अच्छा माना जाता है। प्रतिमा को एक चौकी पर रखें और उसके नीचे एक लाल या पीला कपड़ा बिछाएं।
स्नान और शुद्धता – पूजा करने से पहले शुद्ध व स्वच्छ होना आवश्यक है। हाथ धोकर, शरीर धोकर ही पूजा शुरू करें।
गणेश का आवाहन करें – “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप करते हुए गणेश जी को आमंत्रित करें।
अर्पण (प्रसाद) – गणेश जी को मोदक (उनका प्रिय भोग), ताजे फल, फूल, और दूर्वा (घास की कुछ प्रकार की शाखाएं) अर्पित करें।
धूप-दीप अर्पित करें – घी का दीपक या अगरबत्ती जलाकर उनका सम्मान करें।
गणेश के मंत्र का जाप – नियमित रूप से "ॐ गं गणपतये नमः" का जाप करें। यह मंत्र गणेश जी को प्रसन्न करने में मदद करता है।
प्रार्थना करें – फिर अपनी मनोकामनाओं के लिए प्रार्थना करें। विशेष रूप से जीवन में किसी भी प्रकार की विघ्न-बाधाओं को दूर करने और समृद्धि की कामना करें।
आरती करें – पूजा के बाद गणेश जी की आरती गाएं। यह विधि पूजा को समापन तक लेकर जाती है।
गणेश पूजा में विशेष ध्यान रखने योग्य बातें:
किसी एक स्थान पर स्थिरता: गणेश प्रतिमा को हर बार एक स्थान से दूसरे स्थान पर न ले जाएं। प्रतिमा को एक स्थिर स्थान पर ही रखें।
मनोबल और शांति: पूजा के दौरान मन को शांत रखें और ध्यानपूर्वक पूजा करें। यह ध्यान रखें कि पूजा पूरी श्रद्धा और विश्वास से की जाए।
गणेश चतुर्थी और व्रत: गणेश पूजा के दौरान विशेष रूप से गणेश चतुर्थी का व्रत करना विशेष रूप से लाभकारी होता है। इस दिन विशेष ध्यान रखा जाता है कि गणेश जी की पूजा सच्चे मन से की जाए।
समीप से जुड़े लोग: यदि घर में बच्चे या वृद्धजन हैं, तो उनकी मदद लें और पूजा में सभी का समावेश करें। इससे घर में सामूहिक सुख और शांति आती है।
पूजा के बाद दान और प्रार्थना: पूजा के बाद दान देना शुभ होता है। गरीबों को भोजन या कुछ दान करके पूजा का पुण्य बढ़ाएं।
पूजा संपन्न होने के बाद ध्यान रखें कि किसी प्रकार का शोर या गहमा-गहमी न हो क्योंकि इससे पूजा के प्रभाव में कमी हो सकती है।