Ganga Dussehra: गंगा दशहरा पर जरुर करें यह काम, पापों से मिलेगा छुटकारा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 06 Jun, 2024 08:08 AM

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ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है। इस साल गंगा दशहरा 16 जून, रविवार के दिन पड़ रहा है।

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Ganga Dussehra 2024: ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है। इस साल गंगा दशहरा 16 जून, रविवार के दिन पड़ रहा है। गंगा दशहरा के दिन मां गंगा की पूजा करने के साथ गंगा स्नान करने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा गंगा दशहरा के दिन गंगा स्त्रोत का पाठ करने से बुरे कर्म भी नष्ट हो जाते हैं। तो आइए जानते हैं कि गंगा दशहरा के दिन और कौन-कौन से कार्य करने चाहिए।

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Do these works on the day of Ganga Dussehra गंगा दशहरा के दिन करें ये काम
गंगा दशहरा के दिन मां गंगा के साथ भगवान शिव की पूजा करने  का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से व्यक्ति को हर कष्ट से छुटकारा मिलता है और पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही शुभ फलों की प्राप्ति होती है। अगर गंगा नदी में जाकर स्नान नहीं कर सकते हैं तो नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके अलावा गंगा दशहरा के दिन गंगा स्त्रोत का पाठ करना भी बहुत लाभदायक होता है।

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गंगा स्त्रोत का पाठ जरूर करें
ॐ नमः शिवायै गङ्गायै शिवदायै नमो नमः।
नमस्ते विष्णुरुपिण्यै, ब्रह्ममूर्त्यै नमोऽस्तु ते॥

नमस्ते रुद्ररुपिण्यै शाङ्कर्यै ते नमो नमः।
सर्वदेवस्वरुपिण्यै नमो भेषजमूर्त्तये॥

सर्वस्य सर्वव्याधीनां, भिषक्श्रेष्ठ्यै नमोऽस्तु ते।
स्थास्नु जङ्गम सम्भूत विषहन्त्र्यै नमोऽस्तु ते॥

संसारविषनाशिन्यै, जीवनायै नमोऽस्तु ते।
तापत्रितयसंहन्त्र्यै, प्राणेश्यै ते नमो नमः॥

शांतिसन्तानकारिण्यै नमस्ते शुद्धमूर्त्तये।
सर्वसंशुद्धिकारिण्यै नमः पापारिमूर्त्तये॥

भुक्तिमुक्तिप्रदायिन्यै भद्रदायै नमो नमः।
भोगोपभोगदायिन्यै भोगवत्यै नमोऽस्तु ते॥

मन्दाकिन्यै नमस्तेऽस्तु स्वर्गदायै नमो नमः।
नमस्त्रैलोक्यभूषायै त्रिपथायै नमो नमः॥

नमस्त्रिशुक्लसंस्थायै क्षमावत्यै नमो नमः।
त्रिहुताशनसंस्थायै तेजोवत्यै नमो नमः॥

नन्दायै लिंगधारिण्यै सुधाधारात्मने नमः।
नमस्ते विश्वमुख्यायै रेवत्यै ते नमो नमः॥

बृहत्यै ते नमस्तेऽस्तु लोकधात्र्यै नमोऽस्तु ते।
नमस्ते विश्वमित्रायै नन्दिन्यै ते नमो नमः॥

पृथ्व्यै शिवामृतायै च सुवृषायै नमो नमः।
परापरशताढ्यायै तारायै ते नमो नमः॥

पाशजालनिकृन्तिन्यै अभिन्नायै नमोऽस्तुते।
शान्तायै च वरिष्ठायै वरदायै नमो नमः॥

उग्रायै सुखजग्ध्यै च सञ्जीवन्यै नमोऽस्तु ते।
ब्रह्मिष्ठायै ब्रह्मदायै, दुरितघ्न्यै नमो नमः॥

प्रणतार्तिप्रभञ्जिन्यै जग्मात्रे नमोऽस्तु ते।
सर्वापत् प्रति पक्षायै मङ्गलायै नमो नमः॥

शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे।
सर्वस्यार्ति हरे देवि! नारायणि ! नमोऽस्तु ते॥

निर्लेपायै दुर्गहन्त्र्यै दक्षायै ते नमो नमः।
परापरपरायै च गङ्गे निर्वाणदायिनि॥

गङ्गे ममाऽग्रतो भूया गङ्गे मे तिष्ठ पृष्ठतः।
गङ्गे मे पार्श्वयोरेधि गंङ्गे त्वय्यस्तु मे स्थितिः॥

आदौ त्वमन्ते मध्ये च सर्वं त्वं गाङ्गते शिवे!
त्वमेव मूलप्रकृतिस्त्वं पुमान् पर एव हि।
गङ्गे त्वं परमात्मा च शिवस्तुभ्यं नमः शिवे।।

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