Edited By Niyati Bhandari,Updated: 11 Apr, 2024 10:17 AM
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हिंदू कैलेंडर के अनुसार, गणगौर व्रत चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है। यह व्रत माता पार्वती को समर्पित माना जाता है। यह त्योहार विशेष रूप से राजस्थान में मनाया जाता है। इस अवसर पर
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Gangaur 2024: हिंदू कैलेंडर के अनुसार, गणगौर व्रत चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है। यह व्रत माता पार्वती को समर्पित माना जाता है। यह त्योहार विशेष रूप से राजस्थान में मनाया जाता है। इस अवसर पर विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, परिवार में सुख-शांति के लिए गणगौर का व्रत रखती हैं। साथ ही इस दिन महादेव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। कुंवारी लड़कियां भी अपने मनपसंद वर को पाने के लिए व्रत करती हैं। आइए जानते हैं कि गणगौर व्रत की तिथि, शुभ समय और पूजा विधि क्या है।
Gangaur fast date and auspicious time गणगौर व्रत तिथि और शुभ मुहूर्त
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 10 अप्रैल को शाम 5 बजकर 32 मिनट पर शुरू होगी। यह 11 अप्रैल को दोपहर 3:00 बजे समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मानी जाती है। ऐसे में गणगौर व्रत 11 अप्रैल को रखा जाएगा। गणगौर के दिन पूजा का शुभ समय सुबह 6.29 बजे से 08:24 बजे तक रहेगा।
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Gangaur fast worship method गणगौर व्रत पूजा विधि
गणगौर व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें। इसके बाद अपने दिन की शुरुआत देवी-देवताओं का ध्यान करके करें। इसके बाद नहाकर साफ कपड़े पहनें और सोलह श्रृंगार करें। अब मिट्टी से भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति बनाएं। उन्हें एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर विराजित करें। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती को चंदन, रोली और अक्षत चढ़ाएं। माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें। अब दीपक जलाकर गणगौर माता की आरती करें और व्रत का संकल्प लें। अंत में विशेष चीजों का भोग लगाएं और प्रसाद लोगों में बांट दें।
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3 auspicious yogas will be formed on the day of Gangaur Puja गणगौर पूजा के दिन बनेंगे 3 शुभ योग
गणगौर पूजा के दिन रवि योग, प्रीति योग और आयुष्मान योग बना है।
रवि योग 11 अप्रैल को सुबह 06 बजे से लेकर अगले दिन रात 01:38 तक है।
प्रीति योग 11 अप्रैल को सुबह 07:19 तक है।
आयुष्मान योग 12 अप्रैल को सुबह 04 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।
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What is the importance of Gangaur Puja गणगौर पूजा का क्या है महत्व
गणगौर का संबंध भगवान शिव और माता पार्वती से है। गण यानी कि भगवान शिव और गौर का अर्थ गौरी है। इसलिए इस दिन दोनों की विधिवत पूजा करने का विधान है। शिव और गौरी की पूजा करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य और सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद मिलता है।
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Why do women observe Gangaur fast and worship secretly महिलाएं छिपाकर क्यों करती हैं गणगौर व्रत और पूजा ?
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए व्रत और पूजा की लेकिन वो भोलेनाथ से इसके बारे में बताना नहीं चाहती थी। शिव जी ने काफी प्रयास किया कि वे बता दें लेकिन माता पार्वती ने उस बारे में कोई बात नहीं की। वे गुप्त रूप से वह व्रत करना चाहती थी।
इस वजह से हर साल महिलाएं गणगौर व्रत और पूजा अपने पति से छिपाकर करती हैं। यहां तक कि इस व्रत और पूजा में चढ़ाए गए प्रसाद को भी पति को खाने को नहीं देती हैं।
आचार्य पंडित सुधांशु तिवारी
प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ/ ज्योतिषाचार्य
9005804317
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