Edited By Niyati Bhandari,Updated: 14 Mar, 2025 06:59 AM

Gaura Purnima 2025: आज हरिनाम संकीर्तन की लहर पूरे विश्व में व्याप्त है, यह पूरे भारत को गौरवान्वित कर रही है। पूरे विश्व में मानव जाति को भक्ति के सूत्र में पिरोने और हरिनाम संकीर्तन आंदोलन के शुभारंभ का महान कार्य किया श्री चैतन्य महाप्रभु ने,...
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Gaura Purnima 2025: आज हरिनाम संकीर्तन की लहर पूरे विश्व में व्याप्त है, यह पूरे भारत को गौरवान्वित कर रही है। पूरे विश्व में मानव जाति को भक्ति के सूत्र में पिरोने और हरिनाम संकीर्तन आंदोलन के शुभारंभ का महान कार्य किया श्री चैतन्य महाप्रभु ने, उनका उद्देश्य था पूरे संसार में कृष्ण भक्ति का प्रचार-प्रसार करके शांति की स्थापना करना। उन्हें वैष्णवों के गौड़ीय सम्प्रदाय का प्रवर्तक तथा भगवान श्री कृष्ण का अवतार माना जाता है।

इस वर्ष 14 मार्च को गौर पूर्णिमा है, इसी विशेष दिवस पर श्री चैतन्य महाप्रभु का आविर्भाव हुआ था। फाल्गुन पूर्णिमा को ही गौर पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। यह फाल्गुन मास में आती है। भगवान श्री कृष्ण श्यामवर्ण के हैं और चैतन्य महाप्रभु राधारानी के गौर वर्ण के स्वर्णिम अवतार के रूप में जाने जाते हैं।

श्री चैतन्य महाप्रभु ने अद्भुत लीलाएं की, उन्होंने जन मानस के कल्याण के लिए श्री भागवतम और भगवद् गीता का प्रचार किया। लोक कल्याण के लिए उन्होंने गीता की शिक्षाओं को सबसे व्यावहारिक तरीके से प्रचारित किया। श्री चैतन्य महाप्रभु ने वृंदावन धाम की महिमा पर प्रकाश डाला। वृंदावन धाम भगवान से भिन्न नहीं है और इसलिए भगवान के समान ही पूजनीय है, उनका कहना था कि मानव जीवन का अंतिम लक्ष्य ईश्वर के असीम प्रेम की अवस्था को प्राप्त करना है।

कलियुग में ईश्वर को पाने का सिर्फ एक ही मार्ग है और वह है नाम जप, उन्होंने श्रीकृष्ण को ही एकमात्र देव कहा है। ‘हरे-कृष्ण, हरे-कृष्ण, कृष्ण-कृष्ण, हरे-हरे। हरे-राम, हरे-राम, राम-राम, हरे-हरे’ यह 16 भगवद् नाम कीर्तन महामंत्र पूरे विश्व को उन्हीं की ही देन है। चैतन्य महाप्रभु ने पूरी दुनिया में ऊंच-नीच, जाति के भेदभाव को दूर करने में अहम भूमिका निभाई।

गौर पूर्णिमा पर पूरे विश्व के वैष्णव मंदिरों में गौर निताई का अभिषेक किया जाता है और भव्य आरती के साथ ‘छप्पन भोग’ लगाया जाता है।

इस दिन धुलंडी पर्व भी होता है जब पूरे भारत में रंग अबीर गुलाल से होली खेली जाती है। चैतन्य महाप्रभु के आविर्भाव दिवस, गौर पूर्णिमा पर वैष्णव मंदिरों में फूलों की होली खेली जाती है। यह त्यौहार पूरी मानवता को प्रेम के सूत्र में पिरोता है, सब आपसी वैर-भाव भूलकर स्नेह बांटते हैं। गौर पूर्णिमा और धुलंडी के विशेष अवसर पर यही मंगलकामना है कि भगवान चैतन्य महाप्रभु के भक्ति आशीर्वाद से पूरी मानवता का कल्याण हो और पूरे विश्व में शांति की स्थापना हो।
