Edited By Niyati Bhandari,Updated: 10 Jan, 2023 03:48 AM
एक बार भगवान गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ किसी पर्वतीय स्थल पर ठहरे थे। शाम के समय वह अपने एक शिष्य के साथ भ्रमण के लिए निकले, दोनों प्रकृति के मोहक दृश्य का आनंद ले रहे थे।
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Gautam buddha story: एक बार भगवान गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ किसी पर्वतीय स्थल पर ठहरे थे। शाम के समय वह अपने एक शिष्य के साथ भ्रमण के लिए निकले, दोनों प्रकृति के मोहक दृश्य का आनंद ले रहे थे। विशाल और मजबूत चट्टान को देख शिष्य के भीतर उत्सुकता जगी, उसने पूछा, इन चट्टानों में तो किसी का शासन नहीं होगा क्योंकि ये अटल, अविचल और कठोर हैं।
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शिष्य की बात सुनकर बुद्ध बोले कि नहीं, इन शक्तिशाली चट्टानों पर भी किसी का शासन है। लोहे के प्रहार से इन चट्टानों के भी टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं। इस पर शिष्य बोला, ‘‘तब तो लोहा सर्वशक्तिशाली हुआ?’’
बुद्ध मुस्कराए और बोले, ‘‘नहीं, अग्रि अपने ताप से लोहे का रूप परिवर्तित कर सकती है।’’ उन्हें धैर्यपूर्वक सुन रहा शिष्य बोला, ‘‘इसका मतलब अग्रि सबसे शक्तिवान है।’’
बुद्ध ने फिर उसी भाव से उत्तर दिया, ‘‘नहीं, जल अग्रि की उष्णता को शीतलता में परिवर्तित कर देता है तथा अग्रि को शांत कर देता है।’’ शिष्य कुछ सोचने लग गया। बुद्ध समझ गए थे कि उसकी जिज्ञासा अब भी पूरी तरह शांत नहीं हुई है।’’
शिष्य ने फिर सवाल किया आखिर जल पर किसका शासन है। भगवान बुद्ध ने उत्तर दिया वायु का, वायु का वेग जल की दिशा को बदल देता है। शिष्य कुछ कहता इससे पहले ही बुद्ध ने कहा कि अब तुम कहोगे पवन सबसे शक्तिशाली हुआ। नहीं पवन सबसे शक्तिशाली नहीं है। सबसे शक्तिशाली है मनुष्य की संकल्प शक्ति क्योंकि इसी से पृथ्वी, जल, वायु, अग्रि इत्यादि को नियंत्रित किया जा सकता है।
जीवन में कोई भी महत्वपूर्ण कार्य संकल्पशक्ति के बगैर असंभव है इसलिए अपने भीतर संकल्प शक्ति का विकास करो।
