Edited By Prachi Sharma,Updated: 16 Feb, 2025 07:25 AM

भगवान गौतम बुद्ध का प्रवचन सुनने एक व्यक्ति रोज जाता और बड़े ही ध्यान से उनकी बातें सुनता। बुद्ध अपने प्रवचन में लोभ, मोह, द्वेष और अहंकार छोड़ने की बात करते थे।
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Gautam Buddha Story: भगवान गौतम बुद्ध का प्रवचन सुनने एक व्यक्ति रोज जाता और बड़े ही ध्यान से उनकी बातें सुनता। बुद्ध अपने प्रवचन में लोभ, मोह, द्वेष और अहंकार छोड़ने की बात करते थे।
एक दिन वह व्यक्ति अवसर पाकर महात्मा बुद्ध के पास गया। उसने पूछा कि मैं एक माह से आपका प्रवचन सुन रहा हूं पर मेरे ऊपर उनका कोई असर नहीं हो रहा है। ऐसा नहीं है कि आप कोई भी बात गलत कह रहे हैं, लेकिन इसका कारण क्या है ? क्या मुझमें कोई कमी है ?
बुद्ध ने पूछा, “यह बताओ तुम कहां के रहने वाले हो ?”

व्यक्ति ने कहा, “श्रावस्ती।”
बुद्ध ने पूछा, “श्रावस्ती यहां से कितनी दूर है ?”
उसने दूरी बताई। पुन: बुद्ध ने पूछा, “तुम वहां कैसे जाते हो ?”
व्यक्ति ने कहा, “कभी घोड़े पर तो कभी बैलगाड़ी में बैठकर जाता हूं।”
भगवान बुद्ध ने कहा, “अच्छा, यह बताओ क्या तुम बिना चले यहां से श्रावस्ती पहुंच सकते हो ?
व्यक्ति ने आश्चर्य से कहा, “बिना चले वहां कैसे पहुंचा जा सकता है, इसके लिए चलना तो पड़ेगा या फिर किसी वाहन का सहारा लेना पड़ेगा।”
बुद्ध बोले, “तुमने सही कहा। चलकर ही अपने लक्ष्य तक पहुंचा जा सकता है।”
इसी तरह अच्छी बातों का प्रभाव भी तभी पड़ता है जब उन्हें अपने जीवन में उतारा जाए, उसके अनुसार आचरण किया जाए। मात्र प्रवचन सुनने या अध्ययन करने से कुछ भी प्राप्त नहीं होता। तब उस व्यक्ति ने कहा कि अब मुझे अपनी भूल समझ में आ गई है। आज से मैं आपके बताए हुए मार्ग पर ही चलूंगा।
