Edited By Niyati Bhandari,Updated: 15 Jul, 2023 08:44 AM
भगवान गौतम बुद्ध के काल में एक राजा था अजातशत्रु। एक बार अजातशत्रु अनेक मुश्किलों से घिर गया और वह उनसे बाहर निकलने का रास्ता नहीं खोज
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Inspirational Story: भगवान गौतम बुद्ध के काल में एक राजा था अजातशत्रु। एक बार अजातशत्रु अनेक मुश्किलों से घिर गया और वह उनसे बाहर निकलने का रास्ता नहीं खोज पा रहा था। इसी दौरान उसकी भेंट एक तांत्रिक से हुई। राजा ने तांत्रिक को चिंता का कारण बताया।
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तांत्रिक ने राजा को मुसीबतों से मुक्ति के लिए पशु बलि देने का उपाय बताया। इसके लिए एक बड़ा अनुष्ठान किया गया और बलि के लिए एक भैंसे को बांधकर मैदान में खड़ा कर दिया गया। संयोगवश उस समय महात्मा बुद्ध राजा अजातशत्रु के नगर पहुंचे। बुद्ध ने देखा कि एक मूक पशु की गर्दन पर मौत की तलवार लटक रही है तो उनका मन करुणा से भर आया। वह राजा के पास पहुंचे।
बुद्ध ने एक तिनका राजा को देकर कहा कि राजन्, मुझे इसे तोड़कर दिखाएं।
राजा ने तिनके के दो टुकड़े करके गौतम बुद्ध को दे दिए। बुद्ध ने टूटे तिनके फिर से राजा को देकर कहा कि अब इन दोनों टुकड़ों को जोड़कर दिखाएं। गौतम बुद्ध की यह बात सुनकर अजातशत्रु अचंभित रह गया।
राजा ने कहा, ‘‘टूटे तिनके कैसे जुड़ सकते हैं?’’
राजा का उत्तर सुनकर बुद्ध ने कहा कि राजन् जिस तरह यह तिनका तोड़ा जा सकता है लेकिन जोड़ा नहीं जा सकता। उसी तरह मूक पशु को मारने के बाद आप उसे जिंदा नहीं कर सकते। जीव हत्या से परेशानियां कम होने की बजाय और बढ़ती ही हैं। आप ही की तरह इसे भी तो जीने का हक है। जहां तक मुश्किलों का सवाल है तो इन्हें कम करने के लिए बुद्धि और वीरता का सहारा लेना चाहिए। असहाय प्राणियों की बलि मत दीजिए।
बुद्ध की बात सुनकर राजा अजातशत्रु शर्मिदा हो गया। राजा ने तत्काल पशु बलि बंद करने का आदेश दे दिया।