Edited By Prachi Sharma,Updated: 21 Sep, 2024 10:04 AM
महात्मा बुद्ध नगर से दूर एक वन में अपने शिष्यों के साथ बैठकर चर्चा कर रहे थे। आसपास के लोग उनके पास अपनी समस्याएं लेकर आ रहे थे। बुद्ध उनकी समस्याओं उनका समाधान कर रहे
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Gautam Buddha Story: महात्मा बुद्ध नगर से दूर एक वन में अपने शिष्यों के साथ बैठकर चर्चा कर रहे थे। आसपास के लोग उनके पास अपनी समस्याएं लेकर आ रहे थे। बुद्ध उनकी समस्याओं उनका समाधान कर रहे थे। तभी एक अत्यंत गरीब व्यक्ति अपने भाग्य को कोसता हुआ उनके पास आया।
उसने बुद्ध से कहा, “भगवन मेरी समस्या का भी समाधान करिए।” तथागत ने कहा, “कहो, तुम्हारी क्या समस्या है ? और मैं उसे दूर करने में तुम्हारी क्या सहायता कर सकता हूं?” उस व्यक्ति ने कहा, “प्रभु मेरी बहुत इच्छा है कि मैं लोगों की हर प्रकार से मदद करूं। लेकिन मैं बहुत गरीब हूं।
मेरे पास न तो धन है और न ही कोई कीमती वस्तु, जिससे मैं लोगों की सहायता कर सकूं। मैं दूसरों की मदद की इच्छा रखने के बावजूद किसी की सहायता नहीं कर पा रहा हूं।” यह कहकर वह व्यक्ति रोने लगा।
उसे रोता देखकर बुद्ध ने कहा, “तुम बहुत अज्ञानी हो, क्योंकि तुम अभी तक इस भ्रम में जी रहे हो कि तुम्हारे पास कुछ भी नहीं है और तुम बहुत गरीब हो। जबकि तुम्हारे पास दूसरों को देने के लिए बहुत कुछ है। तुम बिना धन और कीमती वस्तु के भी दूसरों की मदद कर सकते हो। तुम्हारे पास जुबान है, जिससे तुम मीठे शब्द बोलकर किसी के दुखी चेहरे पर मुस्कान ला सकते हो। तुम अपने शब्दों की ताकत से किसी के भी टूटे हौसलों को फिर से मजबूत कर सकते हो।
तुम अपने दोनों हाथों से किसी भी कमजोर या लाचार व्यक्ति की सहायता कर सकते हो। अपनी दो आंखों से किसी अंधे को रास्ता दिखा सकते हो। तुम अपने मुंह से किसी के लिए दुआ कर सकते हो। इससे यह हो सकता है कि उसके कष्ट दूर हो जाएं।
तुम अज्ञानतावश अब तक इस बात को समझ ही नहीं पाए। यह हमेशा याद रखो कि किसी की मदद करने के लिए धन और कीमती वस्तु का होना अनिवार्य नहीं है। बिना धन और वस्तु के भी हम कई प्रकार से लोगों की मदद कर सकते हैं।”
महात्मा बुद्ध के ज्ञान भरे शब्द सुनकर उस गरीब व्यक्ति को अपनी अज्ञानता का बोध हुआ और उसकी समस्या का समाधान भी हो गया।