Edited By Niyati Bhandari,Updated: 12 Aug, 2022 09:36 AM
वेदमाता गायत्री मंत्र के केवल 24 अक्षर हैं पर थोड़े में भी अनंत ज्ञान का समुद्र भरा पड़ा है। गायत्री का ज्ञान इतना सम्पूर्ण एवं उत्तम है कि यदि इसे मनुष्य भली प्रकार से समझ ले और अपने जीवन में अपना ले तो लोक-परलोक हर
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Gayatri Mantra Gyan Vigyanan: वेदमाता गायत्री मंत्र के केवल 24 अक्षर हैं पर थोड़े में भी अनंत ज्ञान का समुद्र भरा पड़ा है। गायत्री का ज्ञान इतना सम्पूर्ण एवं उत्तम है कि यदि इसे मनुष्य भली प्रकार से समझ ले और अपने जीवन में अपना ले तो लोक-परलोक हर प्रकार से शांतिमय बन सकते हैं। ‘गीयते तत्वमनया गायत्रीति’ (श्री शंकराचार्य) - जिससे तत्व जाना जाए, जिस विवेक बुद्धि से असलियत को जाना जा सके, वह गायत्री है। गायत्री उस बुद्धि का नाम है जो सतोगुणी, दैवी-तत्वों से परिपूर्ण होती है जिसकी प्रेरणा से मनुष्य का मस्तिष्क और शरीर ऐसे मार्ग पर होता है जिस पर चलते पग-पग पर कल्याण के दर्शन होते हैं, आनंद का संचार होता है।
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Gayatri Mantra गायत्री मंत्र - 'ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।'
गायत्री ऐसी अद्भुत शक्ति है जिसकी तुलना में विश्व की अन्य कोई शक्ति मनुष्य के लिए हितकारी नहीं।
गायत्री वह तत्व है जो हमारे प्राणों की रक्षा करता है।
गायत्री एक दिव्य प्रकाश है, एक आशापूर्णा संदेश है, जिससे समस्त भौतिक, आध्यात्मिक, मानसिक, सांसारिक आनंदों का स्रोत खुलता है।
गायत्री हमारे मूंदे हुए विवेक के तृतीय नेत्र को खोलती है। अपनी ज्योति दे कर इस योग्य बनाती है कि संसार को विवेक दृष्टि से देखकर जीवन लक्ष्य को प्राप्त कर सकें।
गायत्री विश्व की समस्त श्रेष्ठ शक्तियों को उत्पन्न करती है और अपने दिव्य प्रकाशों से आलोकित करती है।
गायत्री वेदों की जननी, पापों का नाश करने वाली, नरक रूपी समुद्र में गिरते हुए को हाथ पकड़ कर बचाने वाली अद्भुत शक्ति है।
गायत्री के तीन अक्षरों ‘ग’ में गंगा, ‘य’ में यमुना ‘त्र’ में त्रिवेणी जैसे महान तीन तीर्थ विद्यमान हैं जिनसे पाप दूर होते हैं।