Edited By Niyati Bhandari,Updated: 25 Dec, 2022 08:06 AM
गायत्री महामंत्र में ईश्वर से सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना की गई है। गायत्री मंत्र जप करने पर गुप्त शक्ति केंद्र खुल जाते हैं। गायत्री मंत्र का कार्य दुर्बुद्धि का निवारण कर सद्बुद्धि देना है। इस मंत्र के जपने से चुम्बक तत्व सक्रिय होकर प्रसुप्त...
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Gayatri mantra: गायत्री महामंत्र में ईश्वर से सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना की गई है। गायत्री मंत्र जप करने पर गुप्त शक्ति केंद्र खुल जाते हैं। गायत्री मंत्र का कार्य दुर्बुद्धि का निवारण कर सद्बुद्धि देना है। इस मंत्र के जपने से चुम्बक तत्व सक्रिय होकर प्रसुप्त क्षेत्रों को गतिशील कर देते हैं।
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नास्ति गंगा समं तीर्थ न देव: केशवात्पर:। गायत्र्यास्तु परं जाप्यं न भूतं न भविष्यति।।
अर्थात : गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं, केशव के समान कोई देव नहीं है। गायत्री से श्रेष्ठ कोई जप न हुआ, न होगा। गायत्री मंत्र प्रणव (ओंकार) का विस्तृत रूप है।
इस मंत्रोच्चारण द्वारा ब्रह्म के तेज की प्राप्ति होती है, इसलिए जहां भी गायत्री का वास होता है वहां यश, र्कीत, ज्ञान तथा दिव्य बुद्धि सहज ही उपलब्ध हो जाती है। अग्नि पुराण में कहा गया है : ‘गायत्र्यास्तु परं नास्ति दिवि चेह च पावनम्।’
गायत्री मंत्र से बढ़कर पवित्र करने वाला दूसरा कोई मंत्र नहीं है। मंत्र का जप एक निश्चित समय पर निश्चित स्थान पर बैठकर करें। शंख ऋषि ने लिखा है, ‘‘अगर गायत्री का विधिपूर्वक जप करते समय घी और खील से हवन किया जाए तो शांति मिलती है तथा केवल शुद्ध देशी घी से हवन किया जाए तो अकाल मृत्यू का भय नहीं होता और अगर हवन सामग्री में बिल्वपत्र, कमल के पुष्प तथा दूध मिलाकर हवन किया जाए तो धन और र्कीत की प्राप्ति होती है और अगर केवल दूध मिलाकर आहुति दी जाए तो पराक्रम की प्राप्ति होती है।
Gayatri mantra: गायत्री मंत्र:- ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।