Edited By Prachi Sharma,Updated: 11 Dec, 2024 07:49 AM
भगवद्गीता जिसे गीता के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय धर्म, संस्कृति और दर्शन का एक अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ है। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को युद्ध के मैदान में अपने कर्तव्यों, धर्म, भक्ति और योग का उपदेश दिया।
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Geeta Jayanti 2024: भगवद्गीता जिसे गीता के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय धर्म, संस्कृति और दर्शन का एक अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ है। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को युद्ध के मैदान में अपने कर्तव्यों, धर्म, भक्ति और योग का उपदेश दिया। इस वर्ष 11 दिसंबर को गीता जयंती मनाई जा रही है। यह दिन उस समय का प्रतीक है जब भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। गीता जयंती का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि जीवन के उद्देश्यों को समझने और जीवन में शांति, संतुलन और सही मार्गदर्शन प्राप्त करने के दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
Importance of Gita गीता का महत्व
भगवद्गीता का अत्यधिक महत्व है क्योंकि यह न केवल हिन्दू धर्म का एक अद्भुत धार्मिक और दार्शनिक ग्रंथ है बल्कि यह जीवन के प्रत्येक पहलू को समझने और उसे सही दिशा में जीने का मार्गदर्शन भी देती है। इसे श्री कृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र के युद्ध भूमि पर दिया था, जब अर्जुन मानसिक रूप से संघर्षरत थे और युद्ध से भागना चाहते थे। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने जीवन के उद्देश्य, धर्म, कर्म, भक्ति और योग के बारे में गहरी शिक्षाएं दीं।
गीता में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि हमें अपने कर्तव्यों का पालन बिना किसी मोह के करना चाहिए। कर्म करने से फल की इच्छा नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह ध्यान मनुष्य को इच्छाओं से मुक्त करता है।
गीता में योग के विभिन्न रूपों का उल्लेख किया गया है। श्री कृष्ण ने यह स्पष्ट किया कि सभी प्रकार के योग मानवता के कल्याण के लिए हैं।
गीता में भक्ति का महत्व बहुत ज्यादा है। भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि वह सच्चे ह्रदय से भगवान की भक्ति करें और जीवन के सभी कार्यों को भगवान के प्रति समर्पित करें।
ज्ञान का महत्व गीता में प्रकट हुआ है। अर्जुन को जो ज्ञान भगवान श्री कृष्ण ने दिया, वह न केवल युद्ध के संदर्भ में थ बल्कि जीवन के गहरे प्रश्नों और समस्याओं के समाधान से जुड़ा हुआ था।
Relation of Mahabharat War and Gita महाभारत युद्ध और गीता का संबंध
महाभारत युद्ध जो कुरुक्षेत्र में हुआ, वह एक ऐतिहासिक और धर्मिक संघर्ष था। इस युद्ध में दो परिवार पांडव और कौरव, एक-दूसरे से युद्धरत थे। युद्ध के इस निर्णायक क्षण में अर्जुन, जो एक महान योद्धा थे, युद्ध भूमि पर खड़े होकर नतमस्तक हो गए और अपनी पूरी जीवन की स्थिति पर विचार करने लगे। उन्हें युद्ध के फलस्वरूप होने वाली विनाशकारी घटनाओं का डर था। वह शोक और संशय में डूब गए थे। ऐसे में भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें गीता का उपदेश दिया जो जीवन की कई गहरी समझों को उजागर करता है। अर्जुन के शंका समाधान के रूप में भगवान श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया। गीता में श्री कृष्ण ने अर्जुन को यह समझाया कि धर्म के लिए युद्ध करना उनके कर्तव्य का हिस्सा है। उन्होंने यह बताया कि एक योद्धा का धर्म है कि वह समय आने पर युद्ध करें और स्वयं को भगवान के चरणों में समर्पित करें।
गीता का योगदान मानवता के लिए
भगवद्गीता ने न केवल एक धार्मिक ग्रंथ के रूप में बल्कि एक जीवन के मार्गदर्शक के रूप में कार्य किया है। आज के समय में जब व्यक्ति मानसिक तनाव, अस्तित्व की समस्याओं और अनिश्चितता का सामना कर रहा है गीता का ज्ञान उसे आंतरिक शांति और संतुलन प्रदान करने में सहायक हो सकता है। भगवद्गीता का संदेश एक ऐसा अमृत है जो जीवन को एक सशक्त दृष्टिकोण से देखने की प्रेरणा देता है। यह सिखाती है कि जीवन में हर चुनौती को एक अवसर के रूप में देखना चाहिए और अपने कार्यों को सही दृष्टिकोण से करना चाहिए।