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Geeta Jayanti: गीता जयंती पर बन रहा है शुभ योग, आप भी उठाएं इस ज्ञान का लाभ

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 11 Dec, 2024 07:50 AM

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Geeta Jayanti 2024: गीता का ज्ञान भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिया था। यह ज्ञान महाभारत के भीष्म पर्व के अंतर्गत कुरुक्षेत्र के युद्धभूमि पर हुआ था। जब युद्ध शुरू होने से पहले अर्जुन को अपने कर्तव्यों में संकोच और शंका उत्पन्न हुई तो भगवान श्री...

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Geeta Jayanti 2024: गीता का ज्ञान भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिया था। यह ज्ञान महाभारत के भीष्म पर्व के अंतर्गत कुरुक्षेत्र के युद्धभूमि पर हुआ था। जब युद्ध शुरू होने से पहले अर्जुन को अपने कर्तव्यों में संकोच और शंका उत्पन्न हुई तो भगवान श्री कृष्ण ने उसे गीता का उपदेश दिया। अर्जुन पांडवों में से एक महान योद्धा थे और कुरुक्षेत्र युद्ध में भाग लेने के लिए तैयार नहीं थे। गीता का उपदेश उस समय हुआ जब अर्जुन युद्धभूमि पर खड़ा था और उसे यह कठिन निर्णय लेना था कि वह अपने रिश्तेदारों, गुरुओं और मित्रों के खिलाफ युद्ध लड़े या नहीं। अर्जुन का मन अशांत था क्योंकि वह अपनों के साथ युद्ध करने में असमर्थ महसूस कर रहा था। वह अपने कर्तव्यों के प्रति शंका और आत्मसंघर्ष से जूझ रहा था। तब श्री कृष्ण ने उसे गीता का उपदेश दिया, ताकि वह अपनी शंकाओं का निवारण कर सके और अपने कर्तव्यों को सही तरीके से समझ सके।

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Auspicious Yoga on Geeta Jayanti गीता जयंती पर शुभ योग
हिंदू पंचांग के मतानुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का आरंभ 11 दिसंबर की रात 3:42 से होगा और समापन 12 दिसंबर की रात 1: 9 पर होगा। उदया तिथि को ध्यान में रखते हुए गीता जंयती का उत्सव 11 दिसंबर को मनाया जाएगा। गीता जयंती पर वरियान, रवि और भद्रवास योग का निर्माण होगा। इन शुभ योगों में भगवान श्रीकृष्णचन्द्र की पूजा और गीता का पाठ करने से अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होती है।

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Benefits of gita knowledge गीता ज्ञान का लाभ:
कर्तव्य का पालन: गीता ने अर्जुन को यह सिखाया कि हमें अपने कर्तव्यों का पालन बिना किसी फल की कामना के करना चाहिए। जीवन में जो भी कार्य हमें सौंपा जाता है, उसे ईमानदारी से निभाना चाहिए, चाहे परिणाम कुछ भी हो।

मन की शांति: गीता ने मानसिक तनाव और असमंजस से उबरने का मार्ग बताया है। जब कोई व्यक्ति अपने कार्य में पूर्ण रूप से समर्पित होता है, तो उसे आंतरिक शांति और संतोष मिलता है।

आत्मज्ञान और आत्मविश्वास: गीता का अध्ययन व्यक्ति को अपने भीतर की शक्ति का अहसास कराता है और आत्मविश्वास को बढ़ाता है। यह हमें अपने अंदर की नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की प्रेरणा देता है।

योग और साधना: गीता में योग के विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है जैसे कर्मयोग, भक्ति योग, ज्ञानयोग और राजयोग। जो जीवन को संतुलित और उद्देश्यपूर्ण बनाने के लिए आवश्यक हैं।

समाज में सही मार्गदर्शन: गीता का ज्ञान समाज में सही आचरण, दयालुता और सहानुभूति को बढ़ावा देता है। यह हमें दूसरों के प्रति दयालु, सहनशील और आदर्श नागरिक बनने की प्रेरणा देता है।

इस प्रकार गीता का ज्ञान जीवन में सफलता, शांति और उद्देश्य की प्राप्ति के लिए अत्यंत लाभकारी है। यह हमें जीवन के किसी भी संघर्ष में संतुलन और स्थिरता बनाए रखने में मदद करता है।

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