Edited By Niyati Bhandari,Updated: 23 Nov, 2022 09:28 AM
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अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2022 में ब्रह्मसरोवर के पावन घाटों पर जहां 23 राज्यों की शिल्पकला को देखा जा सकता है वहीं महोत्सव में पहली बार मध्य प्रदेश से पहुंचे शिल्पकारों की शिल्पकला पर्यटकों के मन को भा गई है।
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कुरुक्षेत्र (धमीजा): अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2022 में ब्रह्मसरोवर के पावन घाटों पर जहां 23 राज्यों की शिल्पकला को देखा जा सकता है वहीं महोत्सव में पहली बार मध्य प्रदेश से पहुंचे शिल्पकारों की शिल्पकला पर्यटकों के मन को भा गई है। इस महोत्सव में पहली बार मध्य प्रदेश को पार्टनर स्टेट बनाया गया है। यहां से 7 शिल्पकार अपनी-अपनी शिल्पकला को लेकर महोत्सव में पहुंचे हैं। ब्रह्मसरोवर के चारों तरफ शिल्पकला की महक पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित कर रही है। मध्य प्रदेश के शिल्पकार मोहम्मद सिराज जूट क्राफ्ट, विजय कुमार खरादी वुड टॉयस, कमलेश कुमार राठौर ए ब्रोएडेड क्रास्टेड, मोसीन खान जरी गुड्स, बिमलेश कुमार डॉल एडं टॉयस, मोहम्मद सोहल हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग, नाजीर मुज्जफर जरी एंड जरी गुड्स की शिल्पकला को लेकर पहुंचे हैं। इन शिल्पकारों को जनजाति संग्रहालय भोपाल के माध्यम से पहली बार अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में भेजा गया है।
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मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रयासों से ही इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में मध्य प्रदेश को पार्टनर राज्य और नेपाल को पार्टनर देश के रूप में आमंत्रित किया गया है।
आकर्षण का केंद्र गोंड टेरिबल आर्ट : मध्य प्रदेश में बहने वाली नर्मदा नदी के तट पर बसे गांव डिंडोरी की गोंड टेरिबल आट्रस पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इसको पहली बार अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के स्टॉल नम्बर 116 पर देखा जा सकता है। इस अनोखी शिल्पकला के लिए एक्रेलिक्स रंग और कैनवस का प्रयोग किया जाता है। इस शिल्पकला को पर्यटक खूब सराह रहे हैं।
मध्य प्रदेश के गांव ढिढौरी से आए संतु सिंह टेकम का कहना है कि गीता महोत्सव-2022 में पहली बार आए हैं। इस महोत्सव में मध्य प्रदेश की प्रसिद्ध पेंटिंग कला को लेकर आए हैं। मध्य प्रदेश की उभरती शिल्पकार यास्मीन खान महोत्सव में जरी के सूट और बटुए बनाकर लाई हैं। उन्होंने कहा कि इस पहले अवसर में ही ब्रहमसरोवर की फिजा उनके मन को भा गई है।
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