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किसी पत्थर से नहीं बल्कि इस अनोखी चीज़ से बनाई गई है बप्पा की ये मूर्ति

Edited By Jyoti,Updated: 28 May, 2019 02:53 PM

gobar ganesh temple at madhya pradesh

सभी देवी-देवताओं की तरह भगवान गणेश के भी देश में अलग-अलग स्थलों पर मंदिर स्थापित हैं। जहां इनकी पूरी विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने का महत्व है।

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सभी देवी-देवताओं की तरह भगवान गणेश के भी देश में अलग-अलग स्थलों पर मंदिर स्थापित हैं। जहां इनकी पूरी विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने का महत्व है। आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां श्री गणेश जी बहुत ही अद्भुत प्रतिमा स्थापित हैं, जो मान्यताओं के अनुसार हज़ारों साल पुरानी है। तो आइए जानें इस मंदिर के बारे में-

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इतना तो सब जानते हैं कि हिंदू धर्म में प्रत्येक धार्मिक कार्य, आयोजन व यज्ञ आदि से पहले इनका यानि भगवान गणेश जी का ही पूजन करने का विधान है। तो इससे ज़ाहिर है कि इस मंदिर में भी प्रथम पूज्य की ही सर्वप्रथम पूजा का विधान होगा। क्योंकि ये मंदिर गणेश जी को ही समर्पित है। बताया जाता है गोबर की मूर्ति वाला ये प्रसिद्ध मंदिर मध्यप्रदेश के महेश्वर में स्थित है।

बताया जाता है कि इस मंदिर को लेकर एक मान्यता प्रचलित है कि जिसके अनुसार जो भी भक्त यहां आकर गणेश जी को एक नारियल चढ़ाता वे उस पर अधिक प्रसन्न हो जाते हैं। बता दें मध्य प्रदेश के नीमाड़ क्षेत्र में माहेश्वर कस्बे में बाप्पा बड़े ही भव्य रूप में दर्शन देते हैं। यहां महेश्वर में महावीर मार्ग पर बनी गणपति की प्रतिमा गोबर और मिट्टी से बनी है जिसमें एक बड़ा हिस्सा गोबर का है।

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बता दें यहां आमतौर पर पूजा-पाठ में गोबर के गणेश जी बनाकर उनकी पूजा की जाती है। क्योंकि कहा जाता है कि मिट्टी और गोबर से बनी हुई मूर्ति में पंच तत्वों का वास होता है। खासकर गोबर में तो धन की देवी मां लक्ष्मी का वास माना गया है इसलिए कहा जाता है इस मंदिर में आकर दर्शन करने से भगवान गणेश के साथ-साथ मां लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है।

मंदिर का आकार भी लोगों को अपनी तरफ़ आकर्षित करता है। एक तरफ़ जहां मंदिर का बाहरी आकार किसी मस्जिद के गुंबद की तरह है तो वहीं मंदिर के भीतर की बनावट लक्ष्मी यंत्र की तरह लगती है। यहां की लोक मान्यताओं की मानें तो मंदिर के बाहरी आकार को लेकर कहा जाता है कि औरंगजेब के शासन काल के दौरान इस मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाने की कोशिश की गई थी। जिस कारण इस मंदिर के गुबंद का आकार किसी मंदिर की तरह नहीं बल्कि मस्जिद की तरह लगता है। मंदिर में भगवान गणेश अपनी दोनों पत्नियों रिद्धि-सिद्धि के साथ विराजमान हैं। यहं आने वाले सभी भक्तों का मानना है कि यहां आने से गणपति उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।

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यहां की एक और सबसे अनोखी चीज़ है भक्तों द्वारा यहां भक्त उल्टा स्वास्तिक बनान। जी हां, इस मंदिर में ये मान्यता काफ़ी समय से चली आ रही है, मनोकामना मांगने आएं भक्त यहां उल्टा स्वास्तिक बनाते हैं, जब उनकी कामना पूरी हो जाती है तो वह यहां आकर सीधा स्वास्तिक बनाते हैं। यूं तो यहां साल के 12 महीने भक्तों का तांता लगा रहता है लेकिन गणेश उत्सव और दीपावली के समय में इस मंदिर में अधिक संख्या में भक्तजन दर्शन गोबर गणेश के दर्शन करने पहुंचते हैं।

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