Edited By Niyati Bhandari,Updated: 21 Oct, 2020 05:40 AM
नवरात्र के पांचवें दिन माता स्कंदमाता की पूजा अर्चना की जाती है। माता का यह रूप कुमार स्कंद की प्राप्ति के बाद का माना जाता है। माता को अपने पुत्र स्कंद से बहुत अधिक प्रेम है इसलिए उनका नाम
Navratri 5th Day: नवरात्र के पांचवें दिन माता स्कंदमाता की पूजा अर्चना की जाती है। माता का यह रूप कुमार स्कंद की प्राप्ति के बाद का माना जाता है। माता को अपने पुत्र स्कंद से बहुत अधिक प्रेम है इसलिए उनका नाम अपने पुत्र के नाम से ही संबोधित किया जाता है। स्कंदमाता अपने भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी करती हैं और अंत में उनको मोक्ष प्रदान करती हैं।
Shardiya Navratri 2020 5th Day: माता की चार भुजाएं, दोनों हाथों में कमल पुष्प, एक हाथ भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए वर मुद्रा में है और एक हाथ में उन्होंने अपने पुत्र स्कंद को पकड़ा हुआ है। माता कमल के आसन पर विराजमान हैं इसलिए उनको पद्मासना भी कहा जाता है। माता का वाहन सिंह है।
Goddess Skandamata Story: एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब माता सती ने अपने प्राण त्यागे थे, तब एक राक्षस ताड़कासुर ने ब्रह्मा की तपस्या कर के शिव पुत्र के हाथों अपनी मृत्यु का वरदान मांगा था। उसके बाद ताड़कासुर ने देव लोक पर आक्रमण कर इंद्र के सिंहासन पर विजय प्राप्त कर ली। राक्षस के अत्याचारों से मुक्ति के लिए भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया। तब उनको कुमार स्कंद की प्राप्ति हुई। स्कंद को कार्तिकेय के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिकेय को देवताओं का सेनापति बनाया गया। फिर देवताओं और राक्षसों में भीषण युद्ध हुआ, जिसमें स्कंदमाता ने देवताओं की मदद की और युद्ध जीतने में सहायता की।
What to do on the fifth day of Navratri: इस दिन माता की प्रतिमा को गंगा जल से शुद्ध कर के एक साफ़ चौकी पर स्थापित करें। फिर माता की रोली, मोली, लाल चुनरी चढ़ा कर आराधना करें। माता को फलों का भोग अवश्य लगाना चाहिए तत्पश्चात इस मंत्र का उच्चारण करें।
Goddess Skandamata Mantra: या देवी सर्वभूतेषु मा स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
Fifth Day of Navratri: माता की साधना करने से जातक विशुद्ध चक्र को जागृत कर सकता है। व्रती की उपासना से प्रसन्न होकर माता व्रती की सभी इच्छाओं की पूर्ति करती हैं, उसके बुद्धि और विवेक में वृद्धि के साथ उसकी चेतना का निर्माण करती हैं। अंत में इस मृत्युलोक के भवसागर से मुक्त करके मोक्ष प्रदान करती हैं।
आचार्य लोकेश धमीजा
वेबसाइट – www.goas.org.in