Gond Tribe- अनूठे रीति-रिवाजों वाले ‘गोंड आदिवासी’

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 17 Feb, 2022 12:12 PM

gond tribe

विभिन्न संस्कृतियों, सभ्यताओं और परम्पराओं के लिए देश भर में विशिष्ट पहचान बनाने वाला मध्य प्रदेश अपनी आदिवासी जनसंख्या के लिए भी जाना जाता है। मध्य प्रदेश में विभिन्न जनजातियों के लोग

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Gondi people: विभिन्न संस्कृतियों, सभ्यताओं और परम्पराओं के लिए देश भर में विशिष्ट पहचान बनाने वाला मध्य प्रदेश अपनी आदिवासी जनसंख्या के लिए भी जाना जाता है। मध्य प्रदेश में विभिन्न जनजातियों के लोग आज भी अपनी आदिम संस्कृति को सहेजे और समेटे हुए हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण और प्रमुख जनजाति है गोंड। गोंड आदिवासी मध्य प्रदेश के बैतूल, होशंगाबाद, सागर, दमोह, रायसेन, बालाघाट, मंडला, खंडवा, शहडोल सहित अन्य जिलों में रहते हैं।

PunjabKesari Gond Tribe

जनजाति की प्राचीनता 
माना जाता है कि पांचवीं व छठी शताब्दी के करीब यह जनजाति दक्षिण के गोदावरी तट के किनारे-किनारे से होते हुए मध्य भारत तक आ पहुंची थी। गोंड को आस्ट्रोलायट नस्ल और द्रविड़ परिवार की जनजाति माना जाता है। यह मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी जनजाति है। 

मध्य प्रदेश की अनुसूची में इस जनजाति की 50 से भी अधिक उपशाखाएं बताई गई हैं। गोंड जनजाति का अपना समृद्ध और सम्पन्न इतिहास रहा है। 15वीं से 17वीं शताब्दी तक गोंडवाना में अनेक गोंड राजवंशों ने सफलतापूर्वक शासन किया था। प्रमाण के आधार पर यह भी कहा जा सकता है कि गोंड जाति का संबंध सिन्धु घाटी की सभ्यता से भी रहा है।

PunjabKesari Gond Tribe

रहन-सहन व खान-पान 
गोंड आदिवासी सीधे-सादे और ईमानदार होने के साथ-साथ शूरवीर और साहसी भी होते हैं। लोकगीतों के माध्यम से इनकी वीरता की गाथा खूब गाई और सुनाई जाती है। गोंड जनजाति के रहन-सहन, आचार व्यवहार में भी इनके सीधे-सादे व्यक्तित्व की झलक साफ देखी जा सकती है। 

इनके घर अधिकतर मिट्टी और घास-फूस से बने हुए होते हैं। घर का मुख्य द्वार परिवार की समृद्धि को दर्शाता है। महुआ गोंडों का प्रिय भोजन है जिसे ये देव अन्न कहते हैं। इसके साथ ही कोदों, कुटकी और मकई भी इनके भोजन में शामिल हैं। 

वन के करीब रहने के कारण गोंड शिकार करना भी अधिक पसंद करते हैं, जो उनके भोजन का मुख्य हिस्सा है। गोंड मछली भी खूब खाते हैं। 

PunjabKesari Gond Tribe

गोंड संस्कृति
गोंड समूह अपने रीति-रिवाजों व परम्पराओं से बंधा हुआ है। जन्म से लेकर मृत्यु तक कई परम्पराओं को आज भी निभाते चले आ रहे हैं। 

अन्य जनजातियों की तरह गोंडों में भी स्त्री-पुरुष दोनों को बराबरी का दर्जा मिला हुआ है। पर्दा प्रथा से दूर गोंड नारी अपना जीवनसाथी चुनने में भी पूरी तरह स्वतंत्र होती है। आधुनिक समाज के विपरीत आदिम समाज में आज भी महिलाओं को सम्मानित समानता का दर्जा प्राप्त है। 

गोंड परिवारों में विवाह की अलग-अलग प्रथाएं प्रचलित हैं जो अत्यंत रोचक होती हैं। गोंडों में लमसेना विवाह किया जाता है, जिसमें युवक एक निश्चित समय तक अपने ससुर के खेत में मजदूरी करता है। सेवा का समय पूरा हो जाने के बाद ही युवक-युवती का विवाह किया जाता है। 

PunjabKesari Gond Tribe

नृत्य एवं गीत-संगीत 
गोंड आदिवासियों की संस्कृति की असली झलक इनके विवाह समारोहों में ही देखी जा सकती है। शादी की हर रस्म, हर आयोजन के अलग-अलग गीत होते हैं। हर गीत का गूढ़ अर्थ और मतलब होता है। इन गीतों को महिलाएं खूब उत्साह में गाती हैं। दिन भर की कड़ी मेहनत के बाद गोंड नर-नारी, गीत संगीत की स्वर लहरियों के बीच अपनी सारी थकान भूल जाते हैं। ‘करमा’ गोंडों का मुख्य नृत्य है। पुरुषों द्वारा किया जाने वाले सैला नृत्य का भी चलन गोंड जनजाति में है। सिर के साफे में मोर पंख की कलगी और हाथ में डंडा या फारसा इन नृत्य का मुख्य आकर्षण है। किसी विशेष अवसर पर गोंड प्रभावकारी बात करने के लिए कहावतों का प्रयोग भी करते हैं।

PunjabKesari Gond Tribe

Gond tribe dress परम्परागत पहनावा 
गोंड समाज का पहनावा एकदम सादा होता है। महिलाएं प्राय: छह से आठ गज की साड़ी ही पहनना पसंद करती हैं। गहरे रंगों की यह साड़ी कांच लगाकर घुटनों तक पहनी जाती है। महिलाओं के हाथ में चूडिय़ां पहनना सौभाग्य का प्रतीक समझा जाता है। बात यदि गोंड पुरुषों के पहनावे की हो तो ये ‘धोती और बडी’ ही ज्यादा पहनते हैं, कंधों पर ‘पिछोरा’ और सिर पर ‘मुरेठा’ बांधते हैं। महिलाओं की तरह गोंड पुरुष भी गहने पहनना पसंद करते हैं। इसके अलावा ये गुदना गुदवाना भी पसंद करते हैं।   

PunjabKesari Gond Tribe

 

 

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!