mahakumb

गोपाचल जैन धर्मावलंबियों का अनूठा तीर्थ स्थल, जहां पर्वत पर स्थापित हैं हजारों जैन मूर्तियां

Edited By Jyoti,Updated: 21 Aug, 2020 11:56 AM

gopachal parvat gwalior

सनातन धर्म की मान्यताओं की मानें तो इसमें न केवल हिंदू धर्म के देवी-देवताओं से जुड़े धार्मिक स्थल बल्कि कई ऐसे पर्वत आदि भी स्थापित हैं

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
सनातन धर्म की मान्यताओं की मानें तो इसमें न केवल हिंदू धर्म के देवी-देवताओं से जुड़े धार्मिक स्थल बल्कि कई ऐसे पर्वत आदि भी स्थापित हैं, जिसका अधिक महत्व है। इतना ही नहीं जैन धर्म से संबंधित भी ऐसे कई तीर्थ स्थल देश दुनिया में स्थित है। आज हम आपको जैन धर्मावलंबियों कर आस्था का केंद्र व अनूठा तीर्थ कहलाने वाले स्थल के बारे में बताने जा रहे हैं जो मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्थित है। आपकी जानकारी के लिए बता दें जिस तीर्थ स्थल की हम बात कर रहे हैं, वो उसी पर्वत पर है जहां ग्वालियर का प्रसिद्ध किला स्थित है।
PunjabKesari, Gopachal Parvat Gwalior, Gopachal Parvat, गोपाचल पर्वत,  गोपाचल पर्वत ग्वालियर, जैन धर्म, Jainism, Dharmik Sthal, Religious place in india,
इस पर्वत पर हज़ारों की संख्या में जैन प्रतिमाएं विराजमान हैं। जिनके बारे में कहा जाता है ये प्रतिमाएं मध्य पर्वत को तराशकर बनाई गई हैं तथा इनका निर्माण तोमरवंसी राजा वीरमदेव, डूंगरसिंह व कीर्ति सिंह के काल में हुआ था। बताया जाता है कि ग्वालियर के इस ऐतिहासिक दुर्ग पर गोपाचल पर्वत और एक पत्थर की बावड़ी का ऐतिहासिक महत्व होने के साथ ही जैन धर्मावलंबियों के लिए ये एक अनूठा तीर्थ स्थल है।
 

लोक मत की मानें तो 22 वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ के शासनकाल में जैन श्रावकों ने गोपाचल पर्वत पर भगवान पार्श्वनाथ, केवली भगवान और 24 तीर्थंकरो की 9 इंच से लेकर 57 फुट तक की प्रतिमाएं बनाई गई थी। यहां जैन धर्मावलंबियों के तीर्थंकरों की एक से बढ़कर एक प्रतिमाएं देखने को मिलती हैं।
PunjabKesari, Gopachal Parvat Gwalior, Gopachal Parvat, गोपाचल पर्वत,  गोपाचल पर्वत ग्वालियर, जैन धर्म, Jainism, Dharmik Sthal, Religious place in india,
यहां 26 गुफाएं हैं, सभी में भगवान पार्श्वनाथ और तीर्थकरों की खड़ी और बैठने की मुद्रा में प्रतिमाएं हैं। कहा ये भी जाता है कि 1528 में मुस्लिम आक्रांता बाबर यहां आया था। जिसने इन एतिहासिक जैन प्रतिमाओं को खंडित करने का आदेश दिया था।

मगर प्रतिमा खंडित करते समय उसके सैनिकों की आंखों की रोशनी चली गई। जब बाबर को यह बात पता चली तो उसने स्वयं गोपाचल पर्वत पर आकर इन प्रतिमाओं को तोड़ना का प्रयास किया, मगर उसके सैनिकों की बाबर की ही तरह उसकी भी आंखों की रोशनी चली गई।

PunjabKesari, Gopachal Parvat Gwalior, Gopachal Parvat, गोपाचल पर्वत,  गोपाचल पर्वत ग्वालियर, जैन धर्म, Jainism, Dharmik Sthal, Religious place in india,
जिसके बाद उसने प्रतिज्ञा ली कि वे भविष्य में किसी भी जैन प्रतिमाओं नहीं तोड़ेगा। कहा जाता प्रतिज्ञा लेते ही बाबर और उसके सैनिकों की आंखों की रोशनी लौट आई। किले के उरवाई गेट और गोपाचल पर्वत पर जैन तीर्थंकरों की ये अप्रितम प्रतिमाएं हैं।

पंजाब केसरी के रिपोर्टर अंकुर जैन की रिपोर्ट के अनुसार देश और दुनिया से जैन धर्मावलंबी भगवान से प्रार्थना करने यहां आते हैं।

तो वहीं रविवार को यहां श्रद्धालुओं की अधिक भीड़ देखने को मिलती है हालांकि पिछले कुछ महीनों से चल रहे लॉकडाउन के कारण यहां काफी कम संख्या में ही सैलानी आते हैं। इसकी सुंदरता को देखकर जैन धर्मावलंबियों के अलावा पर्यटक दांतों तले उंगली दबा लेते हैं।

क्योंकि ऐसी प्रतिमाएं आज के दौर में बनाना बेहद मुश्किल है। बता दें आज भी यह विश्व की सबसे विशाल 42 फुट ऊंची पद्मासन पारसनाथ की मूर्ति अपने अतिशय से पूर्ण है एवं जैन समाज के परम श्रद्धा का केंद्र है।
PunjabKesari, Gopachal Parvat Gwalior, Gopachal Parvat, गोपाचल पर्वत,  गोपाचल पर्वत ग्वालियर, जैन धर्म, Jainism, Dharmik Sthal, Religious place in india,
भगवान पार्श्वनाथ की देशनास्थली, भगवान सुप्रतिष्ठित केवली की निर्वाणस्थली के साथ 26 जिनालय एवं त्रिकाल चौबीसी पर्वत पर और दो जिनालय तलहटी में हैं, ऐसे गोपाचल पर्वत के दर्शन अद्वितीय हैं।

यद्यपि ये प्रतिमाएं विश्व भर में अनूठी हैं, फिर भी अब तक इस धरोहर पर न तो जैन समाज का ही विशेष ध्यान गया है और न ही सरकार ने इनके मूल्य को समझा है।

 

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!