Edited By Niyati Bhandari,Updated: 26 Aug, 2023 09:06 AM
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गोपाल कृष्ण गोखले तब विद्यार्थी थे। एक दिन की बात है कि कक्षा अध्यापक ने गणित का एक प्रश्न पूछा- प्रश्न थोड़ा कठिन था इसलिए कोई भी विद्यार्थी उसे हल नहीं कर पाया। गोपाल
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Gopal Krishna Gokhale story: गोपाल कृष्ण गोखले तब विद्यार्थी थे। एक दिन की बात है कि कक्षा अध्यापक ने गणित का एक प्रश्न पूछा- प्रश्न थोड़ा कठिन था इसलिए कोई भी विद्यार्थी उसे हल नहीं कर पाया। गोपाल कृष्ण गोखले एकमात्र ऐसे विद्यार्थी थे जिन्होंने प्रश्न का सही उत्तर बता दिया। उससे अध्यापक को बड़ी प्रसन्नता हुई। उन्होंने इसके लिए उन्हें पुरस्कृत भी किया। परन्तु पुरस्कार प्राप्त करने के साथ ही उनकी मानसिक बेचैनी बढ़ती ही गई। घर पहुंचकर तो उनकी बेचैनी और भी तीव्र हो उठी। रात कठिनाई से बिता पाए, उन्हें अच्छी तरह नींद भी नहीं आई।
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गोपाल कृष्ण गोखले दूसरे दिन विद्यालय पहुंचे और सीधे अध्यापक के कमरे में चले गए। पुरस्कार लौटाते हुए बालक गोखले ने निवेदन किया- गुरु जी ! इस पुरस्कार का अधिकारी मैं नहीं। उत्तर तो मैंने दूसरे विद्यार्थी से पूछकर बताया था इसलिए यह पुरस्कार तो उसे ही मिलना चाहिए।
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अध्यापक महोदय ने गोपाल के इस साहस की बड़ी प्रशंसा की। उन्होंने सब विद्यार्थियों को एकत्रित करके समझाया- जो लोग झूठ बोलते हैं उनका झूठ पकड़ में न भी आए तो भी इसी तरह बेचैनी होती है जैसे गोपाल कृष्ण गोखले को हुई लेकिन फिर भी पुरस्कार गोपाल कृष्ण गोखले को ही लौटाते हुए अध्यापक ने कहा- इस पर अब तुम्हारा वास्तविक अधिकार हो गया है क्योंकि तुमने सत्य की रक्षा की है।
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