एक अनूठी पहल, गोपाल पाठशाला से नई पीढ़ी को संस्कारों से जोड़ने का प्रयास

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 26 Jun, 2024 10:17 AM

gopal pathshala

आज के बदलते लाइफस्टाइल और पाश्चात्य की चकाचौंध में युवा पीढ़ि डूबती चली जा रही है। जैसे कोई भी पेड़ तब तक ही जीवित रह पाता है,

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आज के बदलते लाइफस्टाइल और पाश्चात्य की चकाचौंध में युवा पीढ़ि डूबती चली जा रही है। जैसे कोई भी पेड़ तब तक ही जीवित रह पाता है, जब तक वह अपनी जड़ों से जुड़ा रहता है। वैसे ही समाज में व्यक्ति की जड़ें उनकी संस्कृति है, जिससे बंधे रहना व्यक्ति के लिए अनिवार्य है। अपनी संस्कृति से कटा हुआ व्यक्ति कटी डोर की पतंग की तरह हो जाता है, जो उड़ तो रहा है लेकिन मंजिल व रास्ता तय नहीं होता, न ही पता होता है कि वह कहां जाएगा। ऐसे में उनका पतन होना तय है।

आज के आधुनिक समाज को पुरातन संस्कृति से जोड़ने का एक छोटा सा प्रयास कर रहे हैं 23 साल के युवा अंगद तलवाड़। जो श्रीकृष्ण भक्ति शाखा से जुड़े हैं। नशे और गलत संगत में जा चुके मित्रों एवं साथियों के माता-पिता के दुख को देख कर एवं समाज में लुप्त हो रही भक्ति को जीवित करने के लिए उन्होंने पंचवटी मंदिर गौशाला बस्ती गुजां जालंधर में गोपाल पाठशाला का आयोजन लगभग 3 महीने पहले किया। आरंभ में गोपाल पाठशाला में 20 बच्चे आते थे लेकिन वर्तमान में उनकी संख्या बढ़कर 100 से ऊपर जा चुकी है। बहुत सारे बच्चों के अभिभावक भी हरि नाम की गंगा में गोता लगाने आते हैं। हर रविवार को सुबह 11 बजे से लेकर 12:30 बजे तक क्लास लगती है। जिसमें खेल-खेल में बच्चों को भक्ति मार्ग पर आगे लेकर जाने का कार्य किया जाता है।

अंगद तलवाड़ पंचवटी मंदिर गौशाला बस्ती गुजां जालंधर में गोपाल पाठशाला के माध्यम से भक्ति को सरल करके, बच्चों को इसी आयु से सतमार्ग में आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। भगवत गीता का प्रचार-प्रसार, र्कीतन, गऊ सेवा की तरफ प्रेरित करते हैं। शास्त्रों से श्लोक याद करवाए जाते हैं, जिससे कि बच्चों की स्मरण शक्ति और पढ़ाई में कंसंट्रेशन बढ़ती है। क्लासिकल इंस्ट्रूमेंट्स की भी जानकारी दी जाती है। सभी धर्मों के बच्चे इस पाठशाला का उत्साहपूर्वक हिस्सा बन रहे हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य भगवान के नाम के जाप को उनके दैनिक जीवन में शामिल करना है। खेल कूद में एवं मजे-मजे में बच्चे जीवन का मूल्य समझ रहे हैं। बहुत सारे बच्चे छोटी आयु से सतमार्ग के पथिक बन रहे हैं।

जब गोपाल पाठशाला के बच्चों से बात की तो उन्होंने इस क्लास को लेकर बहुत उत्साह दिखाया। बच्चे हर्षेल्लास के साथ गोपाल पाठशाला में भाग ले रहे हैं और विभिन्न प्रतियोगिताओं को खूब एंजॉय कर रहे हैं। आप भी अपने बच्चों को सही रास्ते पर लगाकर समाज के लिए एक आदर्श बना सकते हैं। आज के दौर में आग की तरह फैल रहे नशों और गलत संगत से रोकने का एक अनूठा प्रयास है गोपाल पाठशाला। गोपाल पाठशाला में आ रहे अभिभावकों का कहना है की जब से वे और उनके सज्जन-मित्र इस क्लाम में आने लगे हैं, तब से वे डिप्रेशन, एंजाइटी, नशा और मानसिक तनाव से कोसों दूर जाना शुरु हो गए हैं। कक्षा के उपरांत बच्चों को भगवत प्रसाद प्रदान किया जाता है। 30 जून को यहां पेंटिंग कॉम्पिटिशन करवाया जा रहा है। जिसमें हर वर्ग के बच्चे भाग लेंगे। आप भी इस प्रतियोगिता का हिस्सा बन सकते हैं।

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