Gopashtami: सनातन धर्म में गाय को क्यों माना जाता है पवित्र, जानें इसके पीछे की वजह

Edited By Prachi Sharma,Updated: 06 Nov, 2024 01:34 PM

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हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार गाय में सभी देवों और देवियों का निवास है। नंदी भगवान शिव के प्रियतम हैं। अपने कृष्ण अवतार में श्री हरि ने गोपाल के रूप में अपना जीवन गायों की सेवा के लिए समर्पित कर दिया।

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Gopashtami:  हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार गाय में सभी देवों और देवियों का निवास है। नंदी भगवान शिव के प्रियतम हैं। अपने कृष्ण अवतार में श्री हरि ने गोपाल के रूप में अपना जीवन गायों की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। गोपाष्टमी वह दिन है जब उन्होंने गाय चराने वाले के रूप में जिम्मेदारी संभाली थी। यह अकारण नहीं है कि युगों-युगों तक भारतवर्ष में सभी महापुरुषों ने गौवंश का पालन-पोषण और संरक्षण किया है। पांडवों ने गौवंश की रक्षा के लिए विराटनगर का युद्ध लड़ा और 14 वर्ष का वनवास जोखिम में डाला। अर्जुन ने गौवंश की रक्षा के लिए वनवास चुना। सुरभि गाय के चोरी हो जाने पर परशुराम जी ने सहस्र अर्जुन से कई युद्ध किए। राजा कौशिक के ब्रह्मर्षि विश्वामित्र बनने का कारण कामधेनु गाय बनी।

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गौ माता के अस्तित्व में कुछ ऐसा अद्भुत है जो इन्हें विशेष बनाता है। धेनु सदनं रयेनाम् - अथर्ववेद 11.1.34 में कहा गया है कि गाय सभी लाभों का भंडार है। च्यवन ऋषि ने अपने जीवन का मूल्य एक गाय के बराबर आंका। देशी गाय के दूध से निकला हुआ घी देवलोक के पोषण हेतु यज्ञ में आवश्यक सामग्री है। ऐसा कहा जाता है कि यदि आप नियमित रूप से गौमाता को चारा खिलाते हैं और वे यदि आपके सिर को चाटती हैं तो आपकी छिपी हुई मानसिक क्षमताएं फलीभूत होती हैं। यह महान संत कबीर के लिए सच था, उनकी काव्यात्मक क्षमताएं केवल तभी प्रकट हुईं जब गौमाता ने उनके सिर को चाटा। दुनिया भर में गौवंश के साथ बातचीत के लाभों को स्वीकार किया जा रहा है। पश्चिम में गौमाता को गले लगाना एक तेजी से लोकप्रिय उपचार बनता जा रहा है। इसने "काव कडलिंग" कहा जाता है।

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माना जाता है कि गोधूलि की बेला में जब शाम को चरने के बाद गायें घर लौटती हैं तो उनके खुरों से उड़ने वाली धूल गौवंश की सेवा करने वाले व्यक्ति को सभी बीमारियों से छुटकारा दिलाती है। 

आज के आधुनिक युग और समय में भी ध्यान फाउंडेशन ने अपने 45 से अधिक गौशालाओं के माध्यम से देश भर में गौवंश का पोषण और सुरक्षा करके हमारे पूर्वजों की विरासत और ज्ञान को संरक्षित किया है। इन गौशाला में ज्यादातर बूढ़े, परित्यक्त, अनाथ, बीमार, घायल, अनुत्पादक गौवंश को पुर्नवासित किया गया है। इन्हें पुलिस और सीमा सुरक्षा बलों ने तस्करी से बचाया है। गौमाता जैसे अद्भुत जीव का आशीर्वाद पाने के लिए गोपाष्टमी के शुभ मुहूर्त में इन गौशालाओं में यज्ञ और गो पूजा आयोजित की जाएगी। 

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अश्विनी गुरुजी

 

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