Edited By Niyati Bhandari,Updated: 13 Jan, 2025 04:07 PM
Gorakhpur Khichdi Mela 2025: गोरखनाथ मंदिर में लगने वाला खिचड़ी मेला उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में हर साल मकर संक्रांति के अवसर पर आयोजित किया जाता है। यह मेला उत्तर भारत के प्रमुख मेलों में से एक है और गोरखनाथ मंदिर की विशिष्ट परंपराओं का हिस्सा...
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Gorakhpur Khichdi Mela 2025: गोरखनाथ मंदिर में लगने वाला खिचड़ी मेला उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में हर साल मकर संक्रांति के अवसर पर आयोजित किया जाता है। यह मेला उत्तर भारत के प्रमुख मेलों में से एक है और गोरखनाथ मंदिर की विशिष्ट परंपराओं का हिस्सा है।
Highlights of the fair: मेले की प्रमुख बातें:
खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा: मकर संक्रांति के दिन भक्त गोरखनाथ जी को खिचड़ी चढ़ाने की विशेष परंपरा निभाते हैं। इस खिचड़ी में चावल, दाल और सब्जियां मिलाकर तैयार की जाती है, जिसे भक्त अपने साथ लेकर आते हैं। मान्यता है कि इस खिचड़ी को चढ़ाने से इच्छाएं पूरी होती हैं।
Historical and cultural significance ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व: यह मेला कई शताब्दियों पुराना है और इसे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। खिचड़ी मेले में भारत के अलावा नेपाल से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। नेपाल के राजा द्वारा मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा भी रही है, जो आज भी कायम है।
Khichdi Mela Period खिचड़ी मेला अवधि: यह मेला मकर संक्रांति के दिन से शुरू होता है और लगभग एक महीने तक चलता है। इस दौरान लाखों भक्त मंदिर में दर्शन और पूजा के लिए आते हैं।
Spiritual and social gatherings आध्यात्मिक और सामाजिक समागम: मेला न केवल धार्मिक गतिविधियों का केंद्र होता है, बल्कि यह सामाजिक मेलजोल का भी अवसर प्रदान करता है। मेले में विभिन्न प्रकार की दुकानें, झूले, सांस्कृतिक कार्यक्रम और स्थानीय कला-शिल्प के स्टॉल भी देखने को मिलते हैं।
The story behind Khichdi खिचड़ी के पीछे की कथा: लोक मान्यताओं के अनुसार, गोरखनाथ जी ने भूखमरी के समय अपने भक्तों को सादा और पौष्टिक भोजन देने के लिए खिचड़ी बनाने की सलाह दी थी। यह परंपरा तभी से शुरू हुई और मकर संक्रांति पर विशेष रूप से इसे मनाया जाने लगा।
Khichdi mela of gorakhnath temple complex begin ceremonially: मकर संक्रांति के शुभ दिन से गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी मेला शुरू होगा। एक महीने तक चलने वाले इस मेले में देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं। किवंदती के अनुसार ये पूर्वांचल का सबसे बड़ा मेला है। हर साल खिचड़ी नेपाल नरेश की ओर से चढ़ाई जाती है। नेपाल राजवंश में गुरु गोरखनाथ को गुरु के रूप में पूजा जाता है। तभी तो नेपाल के राजमुकुट और मुद्रा पर गुरु गोरखनाथ का नाम और उनकी चरण पादुका अंकित है।
Know all thing about Khichdi mela of Gorakhnath temple: लोक मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने की परंपरा का आरंभ भगवान शिव ने किया था और उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से मकर संक्रांति के मौके पर खिचड़ी बनाने की परंपरा का आरंभ हुआ था।
Khichdi Fair of Gorakhpur : उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति को खिचड़ी पर्व भी कहा जाता है। मान्यता है की बाबा गोरखनाथ जी भगवान शिव का ही रूप थे। उन्होंने ही खिचड़ी को भोजन के रूप में बनाना आरंभ किया।
Story of khichdi mela : पौराणिक कहानी के अनुसार खिलजी ने जब आक्रमण किया तो उस समय नाथ योगी उन का डट कर मुकाबला कर रहे थे। उनसे जुझते-जुझते वह इतना थक जाते की उन्हें भोजन पकाने का समय ही नहीं मिल पाता था। जिससे उन्हें भूखे रहना पड़ता और वह दिन ब दिन कमजोर होते जा रहे थे।
Preparation of Khichdi Mela at Gorakhnath Temple: अपने योगियों की कमजोरी को दूर करने लिए बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्जी को एकत्र कर पकाने को कहा। बाबा गोरखनाथ ने इस व्यंजन का नाम खिचड़ी रखा। सभी योगीयों को यह नया भोजन बहुत स्वादिष्ट लगा। इससे उनके शरीर में उर्जा का संचार हुआ।
Khichdi and Magh Mela: आज भी गोरखपुर में बाबा गोरखनाथ के मंदिर के समीप मकर संक्रांति के दिन से खिचड़ी मेला शुरू होता है। यह मेला बहुत दिनों तक चलता है और इस मेले में बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी का भोग अर्पित किया जाता है और भक्तों को प्रसाद रूप में दिया जाता है।
Other attractions of Khichdi Mela अन्य आकर्षण: मंदिर के पास भव्य आरती और धार्मिक प्रवचन आयोजित किए जाते हैं। मेले में पारंपरिक लोक संगीत और नृत्य प्रस्तुतियां भी होती हैं। यह मेला श्रद्धा, भक्ति और सांस्कृतिक धरोहर का अद्भुत संगम है, जो हर साल लाखों भक्तों को आकर्षित करता है।