Grishneshwar jyotirlinga: संतान प्राप्ति के चाहवान अवश्य करें घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन, जल्द पूरी होगी मनोकामना

Edited By Prachi Sharma,Updated: 28 Jul, 2024 08:21 AM

grishneshwar jyotirlinga

भारत में अनेकानेक विश्व प्रसिद्ध मन्दिर हैं। उनमें से ही एक है घृष्णेश्वर। यह महाराष्ट्र के औरंगाबाद में दौलताबाद के निकट स्थित है। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक यह मन्दिर एक घेरे के

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Grishneshwar jyotirlinga: भारत में अनेकानेक विश्व प्रसिद्ध मन्दिर हैं। उनमें से ही एक है घृष्णेश्वर। यह महाराष्ट्र के औरंगाबाद में दौलताबाद के निकट स्थित है। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक यह मन्दिर एक घेरे के भीतर है। यहां पास ही सरोवर है। यह प्राचीन, ऐतिहासिक तथा प्राचीन निर्माण शैली का अदभुत भव्य मन्दिर है।

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मंदिर का अंतिम जीर्णोद्धार 18वीं शताब्दी में इंदौर की महारानी पुण्यश्लोका देवी अहिल्याबाई होलकर द्वारा करवाया गया था। शहर के शोर-शराबे से दूर स्थित यह मंदिर शांति एवं सादगी से परिपूर्ण माना जाता है।

सुंदर वास्तुकला
मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं की मूर्तियां खुदी हुई हैं। पत्थर के 24 खंभों पर सुंदर नक्काशी तराश कर सभामण्डप बनाया गया है। मंदिर का गर्भगृह 17 गुणा 17 फुट का है जिसमें एक बड़े आकार का शिवलिंग रखा गया है जो पूर्वाभिमुख है। भव्य नंदीकेश्वर सभामण्डप में स्थापित हैं। सभामण्डप की तुलना में गर्भगृह का स्तर थोड़ा नीचे है। गर्भगृह की चौखट पर और मंदिर में अन्य जगहों पर फूल पत्ते, पशु पक्षी और मनुष्यों की अनेक भाव मुद्राओं का शिल्पांकन किया गया है।

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घृष्णेश्वर शिव मंदिर में एक और विशेष बात यह है कि 21 गणेश पीठों में से एक पीठ लक्षविनायक नाम से यहां प्रसिद्ध है। पुरातत्व और वास्तुकला की दृष्टि से यह मंदिर बहुत महत्वपूर्ण है। मंदिर में अभिषेक और महाभिषेक किया जाता है। सोमवार, प्रदोष, शिव रात्रि और अन्य पर्वो पर यहां बहुत बड़ा मेला लगता है। शिवभक्तों और पर्यटकों का विशाल समुदाय यहां उमड़ता है।

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दर्शन का समय
मान्यता के अनुसार यहां आने वाले पुरुष भक्त अपने शरीर से कमीज एवं बनियान तथा बैल्ट उतारकर ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करते हैं। मंदिर रोज सुबह 5.30 से रात 9.30 बजे तक खुला रहता है। श्रावण के पावन महीने में मंदिर सुबह 3 बजे से रात 11 बजे तक भक्तों के लिए खोल दिया जाता है।मुख्य त्रिकाल पूजा तथा आरती सुबह 6 बजे तथा रात 8 बजे होती है।

महाशिवरात्रि के अवसर पर भगवान शिव की पालकी को समीपस्थ शिवालय तीर्थ कुंड तक ले जाया जाता है। करीब हैं एलोरा की गुफाएं घृष्णेश्वर से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर एलोरा की गुफाएं हैं। एलोरा की 34 गुफाओं में जाने का मार्ग आसान है। गुफाएं अलग-अलग संप्रदाय के लिए विभाजित हैं। जैसे 1 से 13 न बर गुफाएं बौद्धों की हैं और 14 से 29 तक हिन्दुओं की ओर 30 से 34 तक की गुफाएं जैन मूर्तियों की हैं।

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