Edited By Niyati Bhandari,Updated: 08 Apr, 2024 07:22 AM
महाराष्ट्र में हिन्दू नववर्ष या नव-सवंत्सर के आरंभ की ख़ुशी में मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नए
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Gudi Padwa 2024: गुड़ी पड़वा का पर्व मुख्यतः महाराष्ट्र में हिन्दू नववर्ष या नव-सवंत्सर के आरंभ की ख़ुशी में मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नए साल की शुरुआत होती है और इसी दिन यह त्योहार मनाने की प्रथा है।
Gudi Padwa shubh muhurat गुड़ी पड़वा शुभ मुहूर्त
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में जिस दिन सूर्योदय के समय प्रतिपदा हो, उस दिन से नव संवत्सर आरंभ होता है।
यदि प्रतिपदा दो दिन सूर्योदय के समय पड़ रही हो तो पहले दिन ही गुड़ी पड़वा मनाते हैं।
यदि सूर्योदय के समय किसी भी दिन प्रतिपदा न हो तो तो नव वर्ष उस दिन मनाते हैं जिस दिन प्रतिपदा का आरंभ व अन्त हो।
Gudhipadwa Muhurat गुढी पाडवा मुहूर्त्त
2081 मराठी विक्रम संवत शुरुआत
प्रथम तिथी शुरुआत 11:52:35 पासुन 8 अप्रैल 2024
प्रथम तिथी समाप्ती 8:33:09 पर्यंत 9 अप्रैल 2024
In case of more months, Gudi Padwa is celebrated according to the following rules अधिक मास होने की स्थिति में निम्नलिखित नियम के अनुसार गुड़ी पड़वा मनाते हैं–
प्रत्येक 32 माह, 16 दिन और 8 घंटे के बाद वर्ष में अधिक मास जोड़ा जाता है। अधिक मास होने के बावजूद प्रतिपदा के दिन ही नव संवत्सर आरंभ होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अधिक मास भी मुख्य महीने का ही अंग माना जाता है। इसलिए मुख्य चैत्र के अतिरिक्त अधिक मास को भी नव संवत्सर का हिस्सा मानते हैं।
Gudi Padwa puja ritual गुड़ी पड़वा की पूजा-विधि
निम्न विधि को सिर्फ़ मुख्य चैत्र में ही किए जाने का विधान है–
नव वर्ष फल श्रवण (नए साल का भविष्यफल जानना)
तैल अभ्यंग (तैल से स्नान)
निम्ब-पत्र प्राशन (नीम के पत्ते खाना)
ध्वजारोपण
चैत्र नवरात्रि का आरंभ
घटस्थापना
संकल्प के समय नव वर्ष नामग्रहण (नए साल का नाम रखने की प्रथा) को चैत्र अधिक मास में ही शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जा सकता है। इस संवत्सर का नाम पिंगल है तथा वर्ष 2081 है। साथ ही यह श्री शालीवाहन शकसंवत 1946 भी है और इस शक संवत का नाम क्रोधी है।
King of New Year (Varshesh) नव संवत्सर का राजा (वर्षेश)
नए वर्ष के प्रथम दिन के स्वामी को उस वर्ष का स्वामी भी मानते हैं। 2024 में हिन्दू नव वर्ष मंगलवार से आरंभ हो रहा है, अतः नए सम्वत का स्वामी मंगल है।
Gudi Padwa puja mantras गुड़ी पड़वा के पूजन-मंत्र
गुडी पडवा पर पूजा के लिए आगे दिए हुए मंत्र पढ़े जा सकते हैं। कुछ लोग इस दिन व्रत-उपवास भी करते हैं।
Gudi Padwa morning fast resolution गुड़ी पड़वा प्रातः व्रत संकल्प
ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्रह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे अमुकनामसंवत्सरे चैत्रशुक्ल प्रतिपदि अमुकवासरे अमुकगोत्रः अमुकनामाऽहं प्रारभमाणस्य नववर्षस्यास्य प्रथमदिवसे विश्वसृजः श्रीब्रह्मणः प्रसादाय व्रतं करिष्ये।
Shodashopachar puja resolution षोडशोपचार पूजन संकल्प
ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्रह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे अमुकनामसंवत्सरे चैत्रशुक्ल प्रतिपदि अमुकवासरे अमुकगोत्रः अमुकनामाऽहं प्रारभमाणस्य नववर्षस्यास्य प्रथमदिवसे विश्वसृजो भगवतः श्रीब्रह्मणः षोडशोपचारैः पूजनं करिष्ये।
After the puja, the fasting person should chant this mantra पूजा के बाद व्रत रखने वाले व्यक्ति को इस मंत्र का जाप करना चाहिए–
ॐ चतुर्भिर्वदनैः वेदान् चतुरो भावयन् शुभान्। ब्रह्मा मे जगतां स्रष्टा हृदये शाश्वतं वसेत्।।
Method of celebrating Gudi Padwa गुड़ी पड़वा मनाने की विधि
प्रातःकाल स्नान आदि के बाद गुड़ी को सजाया जाता है।
लोग घरों की सफ़ाई करते हैं। गांवों में गोबर से घरों को लीपा जाता है।
शास्त्रों के अनुसार इस दिन अरुणोदय काल के समय अभ्यंग स्नान अवश्य करना चाहिए।
सूर्योदय के तुरन्त बाद गुड़ी की पूजा का विधान है। इसमें अधिक देरी नहीं करनी चाहिए।
चटख रंगों से सुन्दर रंगोली बनाई जाती है और ताज़े फूलों से घर को सजाते हैं।
नए व सुन्दर कपड़े पहनकर लोग तैयार हो जाते हैं। आम तौर पर मराठी महिलाएं इस दिन नौवारी (9 गज लंबी साड़ी) पहनती हैं और पुरुष केसरिया या लाल पगड़ी के साथ कुर्ता-पजामा या धोती-कुर्ता पहनते हैं।
परिजन इस पर्व को इकट्ठे होकर मनाते हैं व एक-दूसरे को नव संवत्सर की बधाई देते हैं।
इस दिन नए वर्ष का भविष्यफल सुनने-सुनाने की भी परम्परा है।
पारम्परिक तौर पर मीठे नीम की पत्तियां प्रसाद के तौर पर खाकर इस त्यौहार को मनाने की शुरुआत की जाती है। आम तौर पर इस दिन मीठे नीम की पत्तियों, गुड़ और इमली की चटनी बनायी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इससे रक्त साफ़ होता है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसका स्वाद यह भी दिखाता है कि चटनी की ही तरह जीवन भी खट्टा-मीठा होता है।
गुड़ी पड़वा पर श्रीखण्ड, पूरन पोली, खीर आदि पकवान बनाए जाते हैं।
शाम के समय लोग लेज़िम नामक पारम्परिक नृत्य भी करते हैं।
How to apply gudi गुड़ी कैसे लगाएं
जिस स्थान पर गुड़ी लगानी हो, उसे भली-भांति साफ़ कर लेना चाहिए।
उस जगह को पवित्र करने के लिए पहले स्वस्तिक चिह्न बनाएं।
स्वस्तिक के केन्द्र में हल्दी और कुमकुम अर्पण करें।
आचार्य पंडित सुधांशु तिवारी
प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ/ ज्योतिषाचार्य
9005804317