Edited By Niyati Bhandari,Updated: 03 Jul, 2019 09:51 AM
विश्व विख्यात शक्तिपीठ ज्वालामुखी मंदिर में 3 जुलाई से विश्व शांति व जनकल्याण के लिए धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन शुरू हो रहा है, जिसमें 51 विद्वान मां ज्वाला के
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ज्वालामुखी (कौशिक): विश्व विख्यात शक्तिपीठ ज्वालामुखी मंदिर में 3 जुलाई से विश्व शांति व जनकल्याण के लिए धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन शुरू हो रहा है, जिसमें 51 विद्वान मां ज्वाला के मूल मंत्र, तुकभैरव हनुमान गणेश व गायत्री का जप और पाठ करेंगे ताकि विश्व में जन कल्याण हो।
पुजारी अविणेंद्र शर्मा ने बताया कि 9 दिन तक चलने वाले इस धार्मिक अनुष्ठान में देश-विदेश से मां के भक्त यहां पूजा आराधना करने के लिए आते हैं। इन नवरात्रों में देवी आराधना का फल दूसरे नवरात्रों में दर्शन करने के बराबर होता है।
ज्वालामुखी मंदिर कांगड़ा घाटी से 30 कि.मी. दक्षिण में हिमाचल प्रदेश में स्थित है। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में शामिल है। ज्वालामुखी मंदिर को ‘जोतां वाली का मंदिर भी कहा जाता है। ज्वालामुखी मंदिर को खोजने का श्रेय पांडवों को जाता है। इसकी गिनती माता के प्रमुख शक्ति पीठों में होती है। मान्यता है कि यहां देवी सती की जीभ गिरी थी।
यह मंदिर माता के अन्य मंदिरों की तुलना में अनोखा है क्योंकि यहां किसी मूर्ति की पूजा नहीं होती बल्कि पृथ्वी के गर्भ से निकल रही नौ ज्वालाओं की पूजा होती है। यहां पृथ्वी के गर्भ से नौ अलग-अलग जगह से ज्वाला निकल रही है जिसके ऊपर ही मंदिर बना दिया गया है। इन नौ ज्योतियों को महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यावासिनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अंबिका, अंजी देवी के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर का प्राथमिक निर्माण महाराजा रणजीत सिंह और राजा संसारचंद ने 1835 में इस मंदिर का पूर्ण निर्माण कराया।